(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : आलोक वर्मा ने सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के एक दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया। वे 1979 की बैच के आईपीएस अफसर हैं। 31 जनवरी को उनका रिटायरमेंट था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार चयन समिति ने 2:1 से फैसला लेते हुए उन्हें सीबीआई निदेशक पद से हटा दिया था। इसके बाद उन्हें सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होमगार्ड विभाग का महानिदेशक बनाया गया था। वर्मा ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भेजे इस्तीफे में कहा, ‘‘मैं अपनी सर्विस 31 जुलाई 2017 को ही पूरी कर चुका था और सिर्फ सीबीआई निदेशक के पद पर कार्यरत था। सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होमगार्ड का महानिदेशक बनने के लिए तय आयु सीमा को मैं पार कर चुका हूं।’’ इस्तीफे से पहले वर्मा ने कहा कि झूठे, अप्रमाणिक और बेहद कमजोर आरोपों को आधार बनाकर मेरा ट्रांसफर किया गया। ये आरोप एक ऐसे शख्स ने लगाए हैं, जो मुझसे द्वेष रखता है। उधर, नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया है। उन्होंने गुरुवार को वर्मा द्वारा लिए फैसलों को पलट दिया।दरअसल, वर्मा और जांच एजेंसी में नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना के बीच विवाद के बाद केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था। फैसले के खिलाफ वर्मा की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 76 दिन बाद बहाल किया था। साथ ही कहा कि उच्चाधिकार चयन समिति ही वर्मा पर लगे आरोपों के बारे में फैसला करेगी।आलोक वर्मा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उच्च सार्वजनिक संस्थानों में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह ऐसी संस्था है जिसकी स्वतंत्रता को सुरक्षित किया जाना चाहिए। सीबीआई को बाहरी शक्तियों के प्रभाव में आए बिना कार्य करना चाहिए। मैंने संस्था की अखंडता को बनाए रखने की कोशिश की, जबकि इसे बर्बाद करने के प्रयास किए जा रहे हैं।”