(न्यूज़लाइवनाउ-India) भारत में अवैध ऑनलाइन सट्टा ऐप्स के प्रचार को लेकर टेक दिग्गज Google और Meta की मुश्किलें और गहराती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन दोनों कंपनियों को 28 जुलाई 2025 को उपस्थित होने के लिए दोबारा समन जारी किया है।
सूत्रों के मुताबिक, पिछली सुनवाई में गूगल और मेटा के प्रतिनिधियों ने दस्तावेजों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए पेश होने में असमर्थता जताई थी और अतिरिक्त समय की मांग की थी। अब ED ने सख्त रुख अपनाते हुए निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई में दोनों कंपनियों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित होना अनिवार्य होगा।
फर्जी प्रचार और अवैध सट्टा ऐप्स के लिए हुआ इस्तेमालप्रवर्तन एजेंसी की जांच में सामने आया है कि इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग न केवल भ्रामक ब्रांड प्रचार के लिए किया गया, बल्कि इनका इस्तेमाल ऐसे ऑनलाइन सट्टेबाज़ी एप्लिकेशनों के विज्ञापन में भी हुआ, जो भारत में गैरकानूनी हैं। ये एप्लिकेशन न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रहे हैं, बल्कि समाज में युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं।
22 करोड़ से अधिक भारतीय जुड़े
सबसे चिंताजनक बात यह है कि देश में लगभग 22 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में इन अवैध ऐप्स से जुड़े हुए हैं, जिनमें से लगभग 11 करोड़ लोग प्रतिदिन इनका उपयोग करते हैं। 2025 की पहली तिमाही में इन प्लेटफॉर्म्स पर 1.6 अरब बार विज़िट रिकॉर्ड की गई। देश में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी का बाज़ार अब 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है, और सरकार को हर साल लगभग 27,000 करोड़ रुपये के कर नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले में साउथ फिल्म इंडस्ट्री के कई प्रमुख अभिनेता और कलाकारों को भी समन भेजा गया है, जो इन सट्टा ऐप्स के प्रचार से जुड़े रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इन नामी चेहरों ने पैसों के लालच में सामाजिक ज़िम्मेदारी को दरकिनार करते हुए ऐसे खतरनाक प्रचारों को बढ़ावा दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की लत गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे एक मानसिक विकार की श्रेणी में रखा है। भारत में अब तक हजारों लोग — जिनमें छात्र, गृहणियां और बेरोज़गार युवक शामिल हैं — इस लत के चलते आत्महत्या कर चुके हैं। तेलंगाना उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका के मुताबिक, केवल इस राज्य में ही 1,023 आत्महत्याएं सट्टेबाज़ी के कारण हुई हैं।
डिजिटल मंचों को लेनी होगी ज़िम्मेदारी
यह प्रकरण डिजिटल कंपनियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। भारत जैसे देश में, जहां इंटरनेट उपयोगकर्ता बड़ी संख्या में हैं और जागरूकता की कमी है, ऐसे गैर-जिम्मेदाराना विज्ञापनों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। Google और Meta जैसे ग्लोबल मंचों को अब अपने विज्ञापन मानकों को पुनः परिभाषित करना होगा और अधिक जवाबदेही दिखानी होगी, अन्यथा कठोर दंडात्मक कार्रवाई की आशंका बनी हुई है।