नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत अगर किसी ने 5 करोड़ रुपए से ज्यादा टैक्स चोरी की तो यह नॉन-बेलेबल ऑफेंस माना जाएगा। ऐसे मामलों में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है। सेंट्रल जीएसटी एक्ट में कहा गया कि टैक्स चोरी, गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट या गलत रिफंड की रकम 5 करोड़ रुपए से ज्यादा है, तो यह गैरजमानती जुर्म माना जाएगा।
– बता दें कि सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए 1 जुलाई की डेडलाइन रखी है। जीएसटी से जुड़े 4 बिल लोकसभा से बुधवार को पास हो गए। अब जीएसटी का 1 जुलाई से लागू होना तय माना जा रहा है।
सीरियस कैटेगरी में 5cr से ज्यादा की टैक्स चोरी
– FAQ के मुताबिक, 5 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी को सीरियस ऑफेंस की कैटेगरी में रखा जाएगा और इसमें बिना वारंट गिरफ्तारी होगी। वहीं, बिना कोर्ट की इजाजत के जांच भी शुरू हो जाएगी।
– “सेंट्रल जीएसटी एक्ट के तहत कम संगीन जुर्म में बिना वारंट अरेस्ट करने की परमिशन नहीं होगी और कोर्ट की इजाजत के बगैर ऐसे मामलों में जांच नहीं की जा सकेगी।”
– FAQ के मुताबिक, 5 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी को सीरियस ऑफेंस की कैटेगरी में रखा जाएगा और इसमें बिना वारंट गिरफ्तारी होगी। वहीं, बिना कोर्ट की इजाजत के जांच भी शुरू हो जाएगी।
– “सेंट्रल जीएसटी एक्ट के तहत कम संगीन जुर्म में बिना वारंट अरेस्ट करने की परमिशन नहीं होगी और कोर्ट की इजाजत के बगैर ऐसे मामलों में जांच नहीं की जा सकेगी।”
क्या होगा सेफगार्ड
– “अगर कोई भी शख्स 5 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी (संज्ञेय और नॉन-बेलेबल ऑफेंस) के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे गिरफ्तार करने से पहले उसे लिखित सूचना दी जाएगी। वहीं, गिरफ्तारी के 24 घंटों के अंदर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। अगर असंज्ञेय और बेलेबल ऑफेंस के मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसे CGST/SGST के डिप्टी/ असिस्टेंट कमिश्नर से बेल मिल सकती है।”
– “अगर कोई भी शख्स 5 करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी (संज्ञेय और नॉन-बेलेबल ऑफेंस) के मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे गिरफ्तार करने से पहले उसे लिखित सूचना दी जाएगी। वहीं, गिरफ्तारी के 24 घंटों के अंदर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। अगर असंज्ञेय और बेलेबल ऑफेंस के मामले में कोई दोषी पाया गया तो उसे CGST/SGST के डिप्टी/ असिस्टेंट कमिश्नर से बेल मिल सकती है।”
इस कंडीशन में 25 हजार पेनल्टी
– FAQ में कहा गया, “अगर सेंट्रल जीएसटी एक्ट के तहत किसी को समन भेजा जाता है और वह CGST/SGST ऑफिसर के सामने नहीं पेश होता है तो उस पर 25 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जाएगी।”
– इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के गाइडलाइन के मुताबिक, “किसी को भी समन तभी भेजा जाएगा, जब वह टैक्स डिपार्टमेंट के साथ सहयोग न कर रहा हो। वहीं समन के प्रोविजंस का फील्ड अफसर गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। गाइडलाइन में यह भी है कि समन की लैंग्वेज आसान होगी, जिससे समन पाने वाले को मेंटल स्ट्रेस न हो।”
– FAQ में कहा गया, “अगर सेंट्रल जीएसटी एक्ट के तहत किसी को समन भेजा जाता है और वह CGST/SGST ऑफिसर के सामने नहीं पेश होता है तो उस पर 25 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जाएगी।”
– इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के गाइडलाइन के मुताबिक, “किसी को भी समन तभी भेजा जाएगा, जब वह टैक्स डिपार्टमेंट के साथ सहयोग न कर रहा हो। वहीं समन के प्रोविजंस का फील्ड अफसर गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। गाइडलाइन में यह भी है कि समन की लैंग्वेज आसान होगी, जिससे समन पाने वाले को मेंटल स्ट्रेस न हो।”
सुप्रिनटेंडेंट ही जारी कर सकेंगे समन
– “किसी को भी समन सुप्रीटेंडेंट जारी कर सकेगा, लेकिन इसके लिए उससे किसी असिस्टेंट कमिश्नर लेवल के अफसर से रिटेन परमीशन लेनी होगी। इसके लिए रीजन भी बताना होगा।’
– “टॉप लेवल के अफसर जैसे सीईओ, सीएफओ या पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के खिलाफ ऐसी कार्यवाही काफी जांच परख कर की जाती है। इन लोगों को समन तभी किया जा सकता है जब जांच में ये संकेत मिले कि इन लोगों का रोल ऐसे फैसलों में रहा हो, जिससे रेवेन्यू का नुकसान हुआ हो।’
– “किसी को भी समन सुप्रीटेंडेंट जारी कर सकेगा, लेकिन इसके लिए उससे किसी असिस्टेंट कमिश्नर लेवल के अफसर से रिटेन परमीशन लेनी होगी। इसके लिए रीजन भी बताना होगा।’
– “टॉप लेवल के अफसर जैसे सीईओ, सीएफओ या पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के खिलाफ ऐसी कार्यवाही काफी जांच परख कर की जाती है। इन लोगों को समन तभी किया जा सकता है जब जांच में ये संकेत मिले कि इन लोगों का रोल ऐसे फैसलों में रहा हो, जिससे रेवेन्यू का नुकसान हुआ हो।’