(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : 2.6 ट्रिलियन डॉलर वाली इंडियन इकोनॉमी तेज रफ्तार से भागने के लिए तैयार है और वह संरचनात्मक सुधारों के बलबूते दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कुछ ऐसा ही मानना है। हालांकि आईएमएफ ने आगे यह भी कहा कि भारत को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को आसान बनाने की जरूरत है और साथ ही उसे बेहतर योजना के जरिए कर्जों को कम कर मजबूत विकास का लाभ उठाना चाहिए।अपनी सालाना रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने का फैसले से कृषि उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे महंगाई बढ़ेगी और राजकोषीय स्तर पर दबाव बढ़ेगा। साथ ही उसने चेतावनी भी दी है कि भारत का कर्ज (वित्त वर्ष 18 में सकल घरेलू उत्पाद का 70.4 फीसद) “उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के बीच ऋण संकट की संभावना को बढ़ाने वाली सीमाओं के करीब है”। इसलिए, एक और महत्वाकांक्षी मध्यम अवधि वाले वित्तीय समेकन पथ की आवश्यकता है जो कि एफआरबीएम समीक्षा समिति के वित्त वर्ष 2016 तक के जीडीपी के 60 फीसद तक सरकारी ऋण को कम करने के लक्ष्य के अनुरूप हो।गौरतलब है कि भारत दुनिया के उन पांच देशों में शामिल है जहां जीएसटी की चार और उससे अधिक दरें हैं। भारत के जीएसटी में पांच फीसदी, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद का टैक्स स्लैब शामिल हैं। हाल ही में जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में 28 फीसद वाले स्लैब में शामिल अधिकांश वस्तुओं को निचले स्लैब में डाला जा चुका है।