जर्मनी से ऐसी पनडुब्बी खरीद रहा है भारत, समुद्र के सीने को चीर कर दुश्मन के घर मचा देंगी तबाही

भारत और जर्मनी के बीच होने जा रहे इस रक्षा उपकरण समझौते से चीन और पाकिस्तान बेहद परेशान हैं। आपको बता दें कि भारत और जर्मनी ने मंगलवार को अहम रक्षा मंचों को साथ मिलकर विकसित करने के तरीकों पर विचारविमर्श किया। साथ ही जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह विध्वंसक पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद की नयी दिल्ली की योजना में रूचि दिखायी।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): भारत और जर्मनी के बीच होने जा रहे इस रक्षा उपकरण समझौते से चीन और पाकिस्तान बेहद परेशान हैं। आपको बता दें कि भारत और जर्मनी ने मंगलवार को अहम रक्षा मंचों को साथ मिलकर विकसित करने के तरीकों पर विचारविमर्श किया। साथ ही जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह विध्वंसक पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद की नयी दिल्ली की योजना में रूचि दिखायी। भारत अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए जर्मनी से 6 विध्वंसक पनडुब्बियां खरीदने जा रहा है। ये पनडुब्बियां इतनी अधिक घातक हैं कि पलक झपकते ही समुद्र के सीने को चीरते हुए दुश्मन के घर आग लगा सकती हैं।

फ्रांस और अमेरिका के बाद अब जर्मनी ने भी यूपी और तमिलनाडु के डिफेंस कोरिडोर में रुचि दिखाई है। पिस्टोरियस के साथ वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और जर्मनी साझा लक्ष्यों पर आधारित ‘‘अधिक सहजीवी’’ रक्षा संबंध बना सकते हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में जर्मनी को अधिक निवेश के लिए आमंत्रित किया। अधिकारियों ने बताया कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने हिंद-प्रशांत और अन्य क्षेत्रों में चीन की बढ़ती आक्रामकता समेत क्षेत्रीय सुरक्षा स्थितियों की भी समीक्षा की। पिस्टोरियस भारत की चार दिन की यात्रा पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे। यह 2015 के बाद से भारत में जर्मनी के किसी रक्षा मंत्री की पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग जर्मन रक्षा उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला में भाग ले सकता है और आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन लाने में योगदान देने के अलावा पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत बना सकता है।

जर्मनी की ये विध्वंसक पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाएंगी। दोनों देशों के बीच वार्ता में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और दुनिया पर इसके असर के बारे में भी चर्चा की गयी। अधिकारियों ने बताया कि करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह विध्वंसक पारंपरिक पनडुब्बियों की खरीद की भारत की योजना पर भी बातचीत की गयी और पिस्टोरियस ने इस परियोजना में जर्मनी की रूचि जतायी। इस सौदे के दावेदारों में से एक जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) है। जून 2021 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों को देश में ही बनाने की इस बड़ी परियोजना को मंजूरी दी थी। ये पनडुब्बियां रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत बनायी जाएंगी जो घरेलू रक्षा निर्माताओं को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य मंच बनाने के वास्ते प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की गतिविधियों की समीक्षा की और खासतौर से रक्षा औद्योगिकी भागीदारी बढ़ाने के तरीके तलाशे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र में पैदा हुए अवसरों का उल्लेख किया जिसमें उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों में जर्मनी के निवेश की संभावनाएं शामिल हैं।’’ भारत और जर्मनी के बीच साल 2000 से ही रणनीतिक भागीदारी रही है जो 2011 से अंतर-सरकारी विचार-विमर्श के जरिए मजबूत हुई है।

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