भारत की ऊर्जा जरूरतें और नवीकरणीय भविष्य: अपार संभावनाओं का देश-कुशकान्त

भारत आज जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उसी गति से उसकी ऊर्जा आवश्यकताएँ भी बढ़ती जा रही हैं। उद्योग, शहरीकरण, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और अब इलेक्ट्रिक मोबिलिटी — इन सभी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले वर्षों में भारत को न केवल अधिक बिजली चाहिए, बल्कि स्वच्छ, सस्ती और स्थिर ऊर्जा की भी ज़रूरत होगी।

पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में मेगावाट स्तर के सोलर पावर प्रोजेक्ट्स पर काम करते हुए मैंने यह अनुभव किया है कि भारत के पास ऊर्जा उत्पादन की कोई कमी नहीं है। कमी है तो केवल एकीकृत दृष्टिकोण और ज़मीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन की। हम अक्सर उत्पादन पर तो चर्चा करते हैं, लेकिन ऊर्जा के प्रबंधन, भंडारण और वितरण को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

भारत की भौगोलिक और प्राकृतिक परिस्थितियाँ उसे नवीकरणीय ऊर्जा के लिए असाधारण रूप से सक्षम बनाती हैं। पर्याप्त धूप, विशाल भूमि क्षेत्र और बढ़ती औद्योगिक मांग — यदि इन तीनों को सही नीति और व्यावहारिक योजना से जोड़ा जाए, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बन सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी लीडर भी बन सकता है।

एक Renewable Energy EPC Contractor, Power Consultant और Power Trader के रूप में काम करते हुए मैंने यह महसूस किया है कि आज के समय में सोलर पावर को अकेले नहीं देखा जा सकता। ओपन-एक्सेस पावर, पावर ट्रेडिंग, लिथियम बैटरी स्टोरेज और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) इंफ्रास्ट्रक्चर — ये सभी मिलकर ही एक मजबूत और टिकाऊ ऊर्जा इकोसिस्टम बनाते हैं। यदि हम इन सभी को जोड़कर देखें, तो उद्योगों को सस्ती बिजली, ग्रिड को स्थिरता और देश को ऊर्जा सुरक्षा मिल सकती है।भारत में ऐसी और संभावनाए सामने आ रही है जिसमें हाइड्रोजन बेस्ड सिस्टम और नए टेक्नोलॉजी पर भी हमारी टीम भारत के वैज्ञानिको के साथ काम कर रही है |

नवीकरणीय ऊर्जा केवल पर्यावरण संरक्षण का विषय नहीं है, यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का भी माध्यम है। सोलर और अन्य ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हैं और उद्योगों की ऊर्जा लागत को कम करते हैं। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और समग्र अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि नीति-निर्माता, निवेशक और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले लोग एक-दूसरे के अनुभव को समझें और साथ मिलकर आगे बढ़ें। यदि नीति, पूंजी और अनुभव एक ही दिशा में काम करें, तो आने वाला दशक भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक साबित हो सकता है।

मेरा मानना है कि भारत को अब केवल ऊर्जा उत्पादन पर नहीं, बल्कि समग्र ऊर्जा समाधान पर ध्यान देना चाहिए। नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से हम न केवल अपनी वर्तमान जरूरतें पूरी कर सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की नींव भी रख सकते हैं।