NLN – बाांग्लादेश: बाांग्लादेश में अभी भी हिन्दुओ पर हिंसा जारी है। बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद हिंदुओं के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को लेकर पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने गहरा दुख जताया है। उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर सरकार से अपील की है कि हिंदुओं की चिंता करें। साथ ही आह्वान किया है कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए सभी एकजुट हों। तुलसीपीठ की ओर से ढाई मिनट से अधिक का यह संदेश इंटरनेट मीडिया में जारी किया गया है।
वीडियो में जगद्गुरु ने कहा कि जो बांग्लादेश में घटित हुआ, वह बहुत दुखद है। वहां लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गईं। हमारे हिंदू वहां अल्पसंख्यक रूप में रह रहे हैं। बांग्लादेश में जैसा उत्पीड़न हो रहा है, हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं व बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ किया जा रहा है, उससे मैं बहुत दुखी हूं। मैं भारत सरकार से कहूंगा कि हिंदुओं की चिंता करें। खास कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी कहूंगा कि बांग्लादेश के इस कृत्य में हस्तक्षेप करें।
इसी बीच अंतरिम सरकार के गठन की प्रकिया शुरू हो चुकी है। इस बीच नजरबंदी से रिहा होने के एक दिन बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने ‘‘असंभव को संभव बनाने के संघर्ष’’ के लिए देशवासियों को धन्यवाद। जिया ने कहा कि देश का पुनर्निर्माण ‘‘क्रोध’’ या ‘‘बदले’’ से नहीं, बल्कि ‘‘प्यार और शांति’’ से होगा। नयापल्टन में बीएनपी की रैली में वीडियो लिंक के माध्यम से दिए गए अपने भाषण में 79 वर्षीय जिया ने शांति की अपील की। 2018 के बाद जिया का यह पहला सार्वजनिक भाषण है।
जिया ने उन लोगों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनके लिए संघर्ष किया तथा कारावास से उनकी रिहाई के लिए प्रार्थना की। जिया ने कहा, ‘‘मुझे अब रिहा कर दिया गया है। मैं उन बहादुर लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने असंभव को संभव बनाने के लिए ‘करो या मरो’ का संघर्ष किया। यह जीत हमें लूट, भ्रष्टाचार और कुशासन के मलबे से बाहर निकलने की नई संभावना देती है। हमें इस देश को समृद्ध बनाने की जरूरत है।’’
पूर्व प्रधानमंत्री ने युवाओं के हाथ मजबूत करने का सभी से आग्रह करते हुए कहा, ‘‘युवा हमारा भविष्य हैं। हमें उनके उस सपने को पूरा करने के लिए एक लोकतांत्रिक बांग्लादेश का निर्माण करने की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्होंने अपना खून बहाया है, कोई विनाश नहीं, कोई गुस्सा नहीं और कोई बदला नहीं, हमें अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए प्यार और शांति की आवश्यकता है।’’
जिया को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में 2018 में भ्रष्टाचार के लिए 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बीच हसीना (76) ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। जिया वर्तमान में विभिन्न बीमारियों का इलाज करा रही हैं। जिया को हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के अपदस्थ होने के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के कार्यकारी आदेश पर रिहा कर दिया गया। जिया दो साल से ज्यादा समय से जेल में बंद थीं। बांग्लादेश में दशकों से जिया और हसीना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही है।