निर्दयी नहीं था मुगल बादशाह औरंगजेब, उसने काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का नहीं दिया फरमान’, ज्ञानवापी परिसर सर्वे मामले में हाई कोर्ट में बोला मुस्लिम पक्ष

ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति दाखिल की। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने कहा कि न तो मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर थे और न ही उन्होंने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ा था।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के पूरे सर्वे की माँग के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की है। इस एप्लीकेशन में न केवल हिंदुओं की याचिका का विरोध किया गया बल्कि औरंगजेब के आतंक को धो-पोंछने का प्रयास भी हुआ है। इसमें कहा गया है औरंगजेब निर्दयी नहीं था और उसने आदि विशेश्वर मंदिर को नहीं तोड़ा था। परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर अपनी आपत्ति में, मस्जिद समिति (अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी) ने हिंदू पक्ष की दलील में किए गए इस दावे का खंडन किया है कि पुराने भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारी ने हमला कर इसे नष्ट कर दिया था और फिर 1580 ई. में राजा टोंडल मल ने इसी स्थान पर मंदिर बनवाया था।

कमेटी यह भी मानने से इनकार करती है कि विवादित ढाँचे के परिसर में कोई शिवलिंग बरामद हुआ है। उनका अब भी यही कहना है कि वो एक फव्वारा है। वो कोर्ट से माँग करते हैं कि हिंदू श्रद्धालुओं की याचिका को खारिज कर दिया जाए। मालूम हो कि अप्रैल 2021 में वाराणसी के सिविल जज ने विवादित ढाँच की एएसआई जाँच के लिए ऑर्डर पास किया था। इसपर मुस्लिमों ने इलाहाबाद कोर्ट में याचिका लगाई। मामला की सुनवाई हुई और दलीलों के बाद फैसला रिजर्व रख लिया गया। मस्जिद कमेटी का कहना है कि ऐसी स्थिति में एएसआई सर्वे का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।

बता दें कि हिंदुओं ने वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से याचिका देते हुए माँग उठाई है कि विवादित ढाँचे का पूरा सर्वे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल होते हुए होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से और यूपी सरकार को आपत्ति जाहिर करने के लिए 19 मई का समय दिया। अब मामले में एप्लीकेशन दायर हो गई है। मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई है।

अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है। मस्जिद समिति ने पिछले साल अदालत की ओर से नियुक्त आयुक्त के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर एक ‘शिवलिंग’ की खोज से भी इनकार किया है। मस्जिद समिति ने कहा कि ज्ञानवापी में कोई शिवलिंग नहीं मिला है। वह वस्तु एक फव्वारा है। वाराणसी में दो काशी विश्वनाथ मंदिरों (पुराने और नए) की कोई अवधारणा नहीं थी। इसके अलावा, मस्जिद समिति ने मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहने वाली हिंदू पक्ष की दलील पर भी आपत्ति जताई है। इसमें कहा गया है कि ये बात हिंदू मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करने के उद्देश्य से कही गई थी।

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