(न्यूज़लाइवनाउ): नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति, मां कात्यायनी की पूजा होती है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया। मां कात्यायनी स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं और स्त्री ऊर्जा का स्वरूप भी हैं। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मान्यता है कि देवी कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की पूजा से मनचाहा वर मिलता है और प्रेम विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती हैं।
माँ पार्वती ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया। यह देवी पार्वती का सबसे हिंसक रूप है, इस रूप में देवी पार्वती को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी पार्वती का जन्म ऋषि कात्या के घर पर हुआ था और जिसके कारण देवी पार्वती के इस रूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
मां कात्यायनी का संबंध बृहस्पति और आंशिक संबंध शुक्र से भी है।
माता को पूजा में पीले रंग का ज्यादा प्रयोग करें।
देवी कात्यायनी की उपासना गोधूलि वेला में करें।
इस समय दूध में केसर मिलाकर देवी कात्यायनी का अभिषेक करें।
रोली, मौली, हल्दी, अक्षत, फूल अर्पित करें।
माता की आरती करें और फिर जागरण कर देवी के भजन-कीर्तन करें।
माता को शहद का भोग बहुत प्रिय है, इसलिए मां कात्यायनी को शहद या शहद से बनी चीजों का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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