(न्यूज़लाइवनाउ-Manipur) पिछले दो वर्षों में ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज भी राज्य में शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ रही है? इस तनावपूर्ण वातावरण में उनका दौरा क्यों महत्वपूर्ण है और सुरक्षा के लिहाज से क्या-क्या कदम उठाए गए?
शनिवार (13 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि विकास तभी संभव है जब समाज में स्थिरता और शांति हो। उन्होंने मणिपुर को “आशा और शांति की धरती” बताते हुए नागरिकों से हिंसा छोड़कर आगे बढ़ने की अपील की। साथ ही विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये की विशेष सहायता की घोषणा की।
इसके अलावा बिजली संकट को दूर करने और राज्य को मजबूत कनेक्टिविटी से जोड़ने का भरोसा दिया।उनके पूरे संबोधन का केंद्र दो बातें रहीं— शांति और विकास। लेकिन सवाल यह है कि आखिर दो वर्षों में मणिपुर में क्या बदलाव आए और हालात अब किस स्थिति में हैं?
मणिपुर में तनाव की जड़मणिपुर में मैदानी और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले समुदायों के बीच असहमति 2022 के अंत से ही बढ़ने लगी थी। हालात तब बिगड़े जब मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा देने की मांग पर विचार किया जाए।इस फैसले ने विशेषकर कुकी समुदाय में गहरी आशंका पैदा कर दी कि पहाड़ी क्षेत्रों में मैतेई बसने लगेंगे और उनकी पहचान व जमीन पर खतरा मंडराने लगेगा।
मैतेई आबादी लगभग 60% है और यह अधिकतर हिंदू धर्मावलंबी हैं, जो इम्फाल घाटी के मात्र 10% भूभाग में रहते हैं। जबकि नगा और कुकी-जो जैसे जनजातीय समुदाय, जिनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है, राज्य के लगभग 90% भूभाग में फैले हुए हैं। मौजूदा कानून के तहत मैतेई पहाड़ी इलाकों में बसने के पात्र नहीं थे, इसी वजह से उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
हिंसा की शुरुआत
हाईकोर्ट के आदेश के कुछ ही हफ्तों बाद 3 मई 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा ट्राइबल सॉलिडैरिटी मार्च निकाला गया। इस दौरान विरोध-प्रदर्शन हिंसक रूप ले बैठे और देखते-देखते पूरे राज्य में फैल गए।इन झड़पों में हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए, कई पुलिसकर्मी और सैनिक भी हमलों की चपेट में आए।
पुलिस थानों और हथियारगृहों को भी लूटा गया।2023 से अब तक हुई झड़पों में लगभग 260 लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोग अभी भी राहत शिविरों में जीवन बसर कर रहे हैं। स्थिति यह है कि मैतेई बहुल क्षेत्रों में कुकी समुदाय के लोग नहीं जा सकते और कुकी इलाकों में मैतेई प्रवेश नहीं कर सकते। दोनों समुदायों के बीच बफर जोन बनाकर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
पीएम के आगमन से ठीक एक दिन पहले, कुकी बहुल चुराचांदपुर ज़िले में उपद्रवियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। वहाँ लगे बैनर और कटआउट फाड़ दिए गए तथा प्रधानमंत्री की यात्रा की तैयारियों में लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए गए। इसके बाद अर्धसैनिक बलों ने फ्लैग मार्च कर स्थिति पर काबू पाया।राज्य में अभी भी राष्ट्रपति शासन लागू है। विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है।
इसके अलावा म्यांमार से आए शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों ने सरकार के लिए सीमा सुरक्षा को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।पीएम मोदी की यात्रा और सुरक्षा व्यवस्थाप्रधानमंत्री की मणिपुर यात्रा पूरी तरह गुप्त रखी गई थी और इसकी आधिकारिक घोषणा अंतिम क्षण में की गई।इंफाल स्थित कांगला किला और चुराचांदपुर का पीस ग्राउंड सुरक्षा का मुख्य केंद्र बने।
यहां बड़ी संख्या में केंद्रीय व राज्य बलों की तैनाती की गई। मार्गों पर बैरिकेड्स, संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान और अस्थायी चौकियों की व्यवस्था की गई। सीआरपीएफ ने घाटी और पहाड़ी दोनों इलाकों में सख्त निगरानी रखी।
इतना ही नहीं, कांगला किले के चारों ओर बनी खाइयों में राज्य आपदा प्रबंधन बल की नावों को लगातार गश्त के लिए लगाया गया। यह किला, जो 1891 में मणिपुर के भारत में विलय से पहले शासकों की सत्ता का केंद्र था, आज भी ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।