(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर परोक्ष रूप से बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीति पर उसे आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कुछ अन्य देशों की तरह भारत ‘दोहन करने वाली अर्थव्यवस्था’ नहीं है। भारत संसाधन संपन्न अफ्रीकी महाद्वीप में ‘संकीर्ण आर्थिक गतिविधियां; नहीं चला रहा है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते गरीबी अफ्रीकी देशों को कर्ज के जाल में फंसाने का कुचक्र करने में लगा हुआ है। जबकि भारत अफ्रीकी देशों को मदद करके उनका विश्वास जीतने में सफल रहा है। इसी बीच जयशंकर अफ्रीकी देशों के दौरे पर हैं। यहां जंजीबार के बाद तंजानिया से उन्होंने चीन पर निशाना साधा। चीन पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा है कि भारत ‘दोहन करने वाली अर्थव्यवस्था’ नहीं है और यह संसाधन-समृद्ध अफ्रीका महाद्वीप में संकीर्ण आर्थिक गतिविधियां नहीं कर रहा है।
जंजीबार का दौरा करने के बाद गुरुवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने तंजानिया के दार-अस-सलाम शहर में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
अफ्रीका में चीनी मौजूदगी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘हम यहां दोहन करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में मौजूद नहीं हैं। हम यहां उस तरह से नहीं हैं जिस तरह बहुत से अन्य देश बहुत ही संकीर्ण आर्थिक उद्देश्यों के लिए यहां हैं। हमारे लिए, यह एक व्यापक और गहरी साझेदारी है।’ एशिया-प्रशांत से परे अपनी सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करने की बीजिंग की योजना के हिस्से के रूप में चीन ने 2015 में अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य सहायता आधार स्थापित किया।
चीनी कंपनियां भी कथित तौर पर अफ्रीका के बहुमूल्य खनिज संसाधनों के दोहन में लगी हुई हैं। जयशंकर ने कहा, ‘आज दुनिया, भारत को एक योगदानकर्ता के रूप में देखती है। दुनिया भारत, भारतीय कंपनियों, भारतीय प्रौद्योगिकियों, भारतीय क्षमताओं को उनके लिए बेहतर जीवन बनाने में मदद करने वाले के रूप में देखती है।’
भारतीय समुदाय के योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत और तंजानिया की मित्रता तंजानिया के नागरिकों के जीवन में बदलाव ला रही है। हमारी जल परियोजनाओं से 80 लाख लोगों को फायदा पहुंचेगा।’ उन्होंने कहा कि तंजानिया प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में भारत का सबसे बड़ा अफ्रीकी भागीदार है। भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘आज हम अफ्रीका और इसकी अर्थव्यवस्था को प्रगति करते देखना चाहते हैं। आज अफ्रीका के प्रति हमारा दृष्टिकोण अफ्रीका के साथ अधिक व्यापार करना, अफ्रीका में निवेश करना, अफ्रीका के साथ काम करना, अफ्रीका में क्षमता को बढ़ाना है। जिससे कि अफ्रीका का भी उसी तरह विकास हो, जिस तरह भारत जैसे देश एशिया में बढ़ रहे हैं।’