ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को झटका, हाईकोर्ट में श्रृंगार गौरी केस में खारिज हुई मुस्लिम पक्ष की याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी कोर्ट में दायर पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मामले से जुड़े श्रृंगार गौरी केस में इलाहबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी कोर्ट में दायर पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ दाखिल किया गया था। वाराणसी कचहरी में मौजूद महिला वादियों, उनके पैरोकारों और अधिवक्ताओं ने हर-हर महादेव के उद्घोष से हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। श्रृंगार गौरी केस में हिन्दू पक्ष की राखी सिंह व 9 अन्य द्वारा वाराणसी की अदालत में Civil Suit दाखिल किया गया था। इस मुकदमे में अपनी आपत्ति खारिज होने के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने अर्जी दाखिल की थी।

अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी थी। अदालत में वाद दाखिल करने वाली 5 महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया था। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट और 1995 के Central Waqf Act के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है। जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने सुनाया फैसला।

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