(न्यूज़लाइवनाउ-J&K) Supreme Court में इन दिनों चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया DY Chandrachud की bench J&K से अनुच्छेद 370 को हटाई जाने की मामले की सुनवाई कर रही है।
इस मामले में सुनवाई कर वही संविधानिक बेंच में CJI DY Chandrachud के अलावा जस्टिस Sanjeev Khanna और जस्टिस BR Gave भी शामिल है।
J&K से आर्टिकल-370 को हटाने वाले फैसले को चुनौती देने वाले 23 याचिकाओं में हुई सुनवाई पे Mehbooba Mufti भी शामिल होने के लिए पोहंची थी।
इस मामले में पक्षकार J&K people’s conference के वकील Rajiv Dhawan और सीनियर एडवोकेट Dushyant Dave ने अपना पक्ष रखा।
एडवोकेट Dave ने कहा की संविधानिक शक्तियों का इस्तमाल राजनीतिक उद्यश्यो को प्राप्त करने के लिए नही किया जा सकता है।
2019 में सत्ता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्थ कर दीया जाएगा। उन्होंने कहा की सत्ता के दूर उपयोग का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।
5 अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया था तो उसके बाद देश में इसका जश्न मनाया गया था। जबकि BJP की सरकार इसे उपलब्धि के तौर पे गिनाने लगी थी।
पर वही दूसरी और J&K के कुछ राजनीतिक दल जिसमे PDP और National Conference आगे थी। उन्होंने J&K से उसका विशेष दर्जा झीन जाने पर विरोध किया था जिस पर वे अब तक कायम है।
इसके अलावा कुछ राजनीतिक दलों ने इसे जल्द बाजी में लिया गया फैसला बताते हुए बीजेपी सरकार पर अपने फायदे के लिए नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाते।
Supreme Court: J&K 1 विधान, 1 ध्वज और 1 संविधान है
अनुच्छेद 370 हटाने की खिलाफ Supreme Court में पेटिशन फाइल कर दी थी हालांकि इससे लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार का रुख पूरी तरह से साफ है। वे J&K को एक विधान, एक ध्वज और एक संविधान की दृष्टि से इसे परिभाषित करते है।
इनका कहना है की जब J&K भारत का अंग है और इस पे किसी को लेश मात्र संदेह नहीं है तो उसकी स्तिथि भी अन्य राज्यो या जैसा की उससे केंद्रीय शासित का दर्जा दिया गया है वैसा ही होना चाहिए।
खुद केंद्रीय गृहमंत्री Amit Shah ने भी 5 अगस्त 2019 को संसद के मानसून सत्र के दौरान इस पे अपनी सरकार के स्पष्ट नजरिए को सदन के सामने रखा था। जिसपे वे अभी भी टिके हुए है।
Supreme Court की टिपण्णी
Supreme Courtमें केंद्र की और से इस पर अपना पक्ष रखा जाना है। हालांकि धारा 370 को लेकर जारी बहस के बीच इस पे 10 अगस्त सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की एक टिपण्णी भी बेहद खास है।
इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा था की अक्टूबर 1947 में J&K पूर्व रियासत के विले के साथ J&K की संप्रभुता का भारत के साथ पूरा समर्पण हो गया था।
और ये कहना मुश्किल था की अनुच्छेद 370 जो उसे विशेष दर्जा प्रदान करता था, स्थाई था। ये नही कहा जा सकता है की J&K me संप्रभुता के कुछ तत्व को अनुच्छेद 370 के बाद भी बरकरार रखा गया था।