(न्यूज़लाइवनाउ-MP) मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव (Mohan Yadav) सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में सबसे पहले फैसला लेते हुए धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का ऐलान कर दिया. इसे लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. मुख्यमंत्री के गृह नगर के कई लोग इस आदेश से सहमत है, जबकि कुछ लोग फैसले से असहमत हैं.
MP Politics: एमपी के नए सीएम मोहन यादव कैबिनेट की पहली बैठक में लाउडस्पीकर को लेकर फैसला सुनाया गया, जिसको लेकर सीएम के गृह जिले में विरोध शुरू हो गया है. हालांकि कुछ लोग इस फैसले से सहमत भी हैं. कैबिनेट की पहली बैठक में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. हालांकि अभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए हैं लेकिन इस फैसले को लेकर क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों ही सामने आ रही है.
जाने पंडित और मौलवियों का रिएक्शन
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पुरोहित जगदीश गुरु का कहना है कि लाउडस्पीकर की आवाज कम होने का फैसला आया है, जबकि पंडित राजगुरु का कहना है कि लाउडस्पीकर नहीं हटाया जाना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि आवाज भी कम नहीं होना चाहिए. महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को भस्म आरती से लेकर चयन आरती तक सभी आरतियों के बारे में लाउडस्पीकर से जानकारी मिल जाती है. मंदिर के आसपास खड़े लोग भी मंत्रोच्चार के साथ आरती में सहभागिता करते हैं.
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इसी तरह मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर भी मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. मस्जिद के मौलवी फैजुल्ला के मुताबिक राजनीतिक रैलियां और आम सभाओं से भी स्पीकर को हटाना चाहिए. उन्होंने यह कहा कि धार्मिक स्थल पर कई दशकों से लाउडस्पीकर लगे हुए हैं. दूसरी तरफ शब्बीर नाम एक व्यक्ति ने कहा कि आदेश बिल्कुल सही है. सरकार ने आम लोगों के हित में आदेश लिया है. उन्होंने अभी कहा कि आदेश के पालन में लाउडस्पीकर सभी धार्मिक स्थल से हटना चाहिए.
उज्जैन के विधायक और मध्य प्रदेश सरकार के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मतदान से तीन दिन पहले मंच से चेतावनी दी थी कि साल 2018 में कांग्रेस की सरकार ने महाकालेश्वर मंदिर के लाउडस्पीकर बंद कर दिए थे. उन्होंने इस मामले में कांग्रेस नेताओं को जमीन में गाड़ने तक की धमकी दे डाली थी. लाउडस्पीकर की चेतावनी को लेकर कैबिनेट की पहली बैठक में असर भी देखने को मिला.
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