वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman का प्राइवेट सेक्टर से अपील, उन्होंने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मदद करना चाहिए

न्यूज़लाइवनाउ – Nirmala Sitharaman ने कहा कि परोपकार के तौर पर दी गई पूंजी भी लागत, जोखिम को कम करने और निजी पूंजी को जुटाने में मदद करेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस कोशिश में भाग लेना और योगदान देना सभी हितकारों की जिम्मेदारी है.

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने में प्राइवेट सेक्टर को आगे आने और इसमें मदद की अपील की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्राइवेट सेक्टर से बड़ी अपील की है. उन्होंने कहा है कि सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मदद करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार और एजेंसियों की ओर से प्रयास किया जा रहा है. वित्त मंत्री ने इसमें प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल होने के लिए अपील किया है.

उन्होंने कहा कि परोपकार के तौर पर दी गई पूंजी भी लागत, जोखिम को कम करने और निजी पूंजी को जुटाने में मदद करेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस कोशिश में भाग लेना और योगदान देना सभी हितकारों की जिम्मेदारी है. वित्त मंत्री ने ये बातें मोरक्को में एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, जो कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की ओर से किया गया था.

2015 में 17 लक्ष्यों को अपनाया

​निर्मला सीतारमण इन दिनों मोरक्को के दौरे पर हैं, जहां उन्हें जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की चौथी बैठक में भाग लेना था. इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की बैठक भी मोरक्को में होना है. इस बैठक में भी वित्त मंत्री भाग लेना है. मोरक्को में बैठक के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं प्राइवेट सेक्टर को आगे आने और इसे ग्लोबल लक्ष्य को आगे बढ़ाने में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही हूं.

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गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के देशों ने 2015 में 17 लक्ष्यों को अपनाया था. इसमें गरीबी, भूखमरी से मुक्ति से लेकर शहरों के विकास और तमाम ग्लोबल चुनौतियों से समाधान के लिए कदम उठाने का जिक्र शामिल है. यह लक्ष्य 2030 तक पूरा करने के लिए रखा गया है.

सीतारमण का यह बयान इस समय और भी अहम हो जाता है, क्योंकि सतत विकास जैसे ग्लोबल मुद्दों के लिए पैसा दिए जाने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. इन तरीको में बदलाव के लिए वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जैसी ग्लोबल एजेंसिया दबाव बना रही हैं.

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Nirmala Sitharaman