नई दिल्ली: जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी की सज़ा पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में जज ने फैसला पढ़ा. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला आने तक कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं दी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि दोनों ही पक्षों को इस आदेश को मानना होगा. दोनों ही देशों पर विएना समझौते के तहत यह आदेश बाध्यकारी है. इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत साबित हुई है. भारत मामले की सुनवाई तक फांसी पर रोक की मांग कर रहा था
कोर्ट ने एकमत होकर फैसला सुनाते हुए कहा कि पाकिस्तान यह आश्वासन देगा कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं देगा. पाकिस्तान को कोर्ट को यह आश्वासन देना होगा.
नीदरलैंड के हेग में स्थित इस कोर्ट में फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि भारत के द्वारा इस केस में जिन अधिकारी की बात कही है वह सही जान पड़ती है. कोर्ट ने कहा कि भारत की मांग उचित दिखाई पड़ती है. कोर्ट ने कहा कि अगस्त तक फांसी नहीं दिए जाने की बात पाकिस्तान ने कही थी.
कोर्ट के फैसले से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा कि विएना समझौते के तहत भारत को कुलभूषण जाधव तक पहुंच का हक है. पाकिस्तान को यह पहले ही करना चाहिए था. भारत को अपने नागरिक से मिलने का हक है.
इससे पहले कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की दी गई महत्वपूर्ण दलीलों को दोहराया. दोनों देशों पर किए गए दावों पर कोर्ट ने गौर किया. यह दिखता है कि जाधव के पास 40 दिन हैं, फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए, यह पाकिस्तान का कानून है. लेकिन जाधव ने ऐसा नहीं किया. जाधव के परिवार ने ऐसा किया है.
कोर्ट ने कहा कि भारत और पाकिस्तान वीएना समझौता का हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि अदालत के पास भारत के दावे को स्वीकारने का हक है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में फैसला देने का हक भी कोर्ट को है. कोर्ट ने पाकिस्तान की ओर कुलभूषण जाधव तक भारत की पहुंच को रोकने पर भी ऐतराज जताया.
कोर्ट ने कहा कि 2008 का द्विपक्षीय समझौता भी कोर्ट को नहीं बांध सकता है. कोर्ट अपना फैसला इस मामले में दे सकता है. यह वीएना समझौते के तहत है.
वहीं, महाराष्ट्र के पवई में कुलभूषण जाधव के घर के बाहर लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए और पटाखे फोड़े. इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह भारत की जीत है…
कोर्ट ने सोमवार को भारत-पाकिस्तान की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दमदार दलील रखते हुए कुलभूषण की फांसी की सज़ा को तत्काल रद्द किए जाने की मांग की थी. पाकिस्तान की ओर से कुलभूषण का काउंसलर एक्सेस न देने को भारत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन बताया था. साथ ही पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट में कुलभूषण पर चले केस को न्याय का मज़ाक़ बताया था. वहीं पाकिस्तान की दलील थी कि ये मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का नहीं है, भारत इसे राजनीति का रंगमंच बना रहा है.
भारत की दलील
- ये मामला पूरी तरह इस अदालत के दायरे में आता है
- जाधव को काउंसेलर एक्सेस नहीं देना साफ तौर पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है
- केस में मदद काउंसेलर एक्सेस की शर्त नहीं हो सकती
- मौत की सज़ा सुनाने के बाद केस में सहयोग मांगा जा रहा था
- मिलिट्री कोर्ट में चला केस मज़ाक है
- सेना की गिरफ्त में होते हुए लिया गया इकबालिया बयान केस का आधार है
- भारत को जाधव के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिए गए
- (बिना काउंसेलर एक्सेस के) हमें ये तक नहीं पता कि वो पाकिस्तान पहुंचा कैसे
- FIR में उसे भारतीय बताया गया पर हाई कमीशन के अधिकारियों से मिलने नहीं दिया गया
- हमें डर है कि इस केस की सुनवाई खत्म होने के पहले ही उसे सज़ा ना दे दी जाए
- पिछले महीने ही 18 को मिलिट्री कोर्ट के फैसले के बाद फांसी दी गई
- इसलिए ये मामला अर्जेंट है
- अंतरराष्ट्रीय कानूनों, मानवाधिकारों का पाकिस्तान ने पालन नहीं किया
- फौरन सजा को रद्द किया जाए
पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव पर अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि
- जाधव का कबूलनामा सुनना ज़रूरी
- इसे राजनीति का रंगमंच न बनाए भारत
- जाधव के पासपोर्ट की बात करे भारत
- बलूचिस्तान में जाधव की गिरफ़्तारी