चीन में तीन से पांच सितंबर के बीच ब्रिक्स सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। डोकलाम विवाद सुलझने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने का भी एलान कर दिया गया है। पूरी दुनिया की नजर अब इस सम्मेलन पर है। वहीं इस बीच खबर है कि चीन को अपनी ‘ब्रिक्स प्लस’ योजना पर फिलहाल विराम लगाना पड़ा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ब्रिक्स में शामिल शामिल भारत समेत दूसरे सदस्यों के विरोध के बाद चीन को ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा है। आपको बता दें कि ब्रिक्स में इस वक्त भारत, चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। चीन अपनी ‘ब्रिक्स प्लस’ योजना के तहत अन्य विकासशील देशों को भी इस संगठन का हिस्सा बनाने की बात कर रहा था।
माना जा रहा था कि इसके पीछे चीन का मकसद भारत के प्रतिद्वंद्वी और अपने ‘करीबी सहयोगी’ पाकिस्तान को शामिल करना था। मगर भारत समेत ब्रिक्स के दूसरे सदस्यों ने चीन की इस योजना का विरोध किया। कहा कि चीन के ‘करीबी सहयोगियों’ समेत दूसरे देशों को शामिल करने से ब्रिक्स के लक्ष्यों को नुकसान पहुंचेगा।
बीजिंग में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन विदेश मंत्री वांग यी ने इस बात के संकेत दिए कि चीन अपनी ब्रिक्स प्लस योजना को लेकर दूसरे सदस्यों को समझाने में सफल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि इसके बारे में बेहतर तरीके से समझाने के लिए हमें और तार्किक जवाबों की जरूरत है। आपको बता दें कि ब्रिक्स प्लस का आइडिया वांग का ही था।
वांग ने यह भी बताया कि जियामेन में आयोजित होने जा रहे सम्मेलन में पांच गैर-ब्रिक्स देशों को भी आमंत्रित किया गया है। मगर इनमें भी पाकिस्तान शामिल नहीं है। जिन देशों को आमंत्रित किया गया है, उनमें थाईलैंड, मिस्र, तजिकिस्तान, मैक्सिको इत्यादि शामिल हैं। ये देश चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना में अहम भूमिका निभा रहे हैं।