नई दिल्ली
एक साथ तीन तलाक के मसले पर फैसला सुनाते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। एक साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाले बहुमत के फैसले में शामिल जस्टिस आर.एफ नरीमन ने अपने फैसले में लिखा कि तलाक के चलते महिला और पुरुष के संबंध ही प्रभावित नहीं होते, बल्कि बच्चों पर भी मानसिक और अन्य तरह के दबाव पड़ते हैं।
जस्टिस नरीमन ने कहा कि इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट की तरह है और इसे निश्चित परिस्थितियों में ही खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह आश्चर्यजनक है कि एक साथ तीन तलाक की प्रक्रिया में किसी धार्मिक रस्म का आयोजन नहीं किया जाता और न ही इसमें तय समयसीमा और प्रक्रिया का पालन किया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘वास्तव में पैगम्बर मोहम्मद ने तलाक को खुद की नजर में जायज चीजों में सबसे नापंसद किया जाने वाला कदम घोषित किया था। तलाक से पारिवारिक जीवन की बुनियाद शादी टूट जाती है।’