कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने गुजरात दौरे पर हैं और बुधवार को वो प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचे. लेकिन वो दर्शन के दौरान कुछ ऐसा कर बैठे है, जिससे गुजरात के चुनावी माहौल में भूचाल आ जाना तय है. दरअसल, सोमनाथ के मंदिर में ग़ैर-हिंदू दर्शनार्थियों के लिए एक रजिस्टर रखा गया है, जिसमें उन लोगों को हस्ताक्षर करने होते हैं, जो हिंदू नहीं हैं.बुधवार को सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने गए राहुल और अहमद पटेल ने उस रजिस्टर में साइन कर दिया.
राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर की विजिटर बुक में खुद को गैर हिंदू लिखा है। राहुल गांधी इन दिनों गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे प्रदेश के विभिन्न इलाकों में मंदिरों में जाकर पूजा भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर भी पहुंचे जहां विजिटर बुक में उन्होंने खुद को गैर हिंदू लिखा। वहीं इस खबर से बीजेपी को गुजरात चुनाव में एक नया मुद्दा मिल गया है। पार्टी इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश करेगी।
पटेल की सोमनाथ मंदिर बनने में अहम भूमिका :पीएम
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल गांधी की सोमनाथ यात्रा पर सवाल उठाया। सौराष्ट्र क्षेत्र के प्राची में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, “अगर सरदार पटेल नहीं होते तो सोमनाथ में मंदिर नहीं होता। आज कुछ लोग सोमनाथ को याद कर रहे हैं।” राहुल को संकेत करके उन्होंने कहा, “मेरा उनसे सवाल है कि आप अपना इतिहास भूल चुके हैं। आपके परिवार के सदस्य हमारे प्रथम प्रधानमंत्री वहां मंदिर बनाए जाने के विचार से खुश नहीं थे।”
मुझे शक है कि राहुल ईसाई हैं : सुब्रह्मण्यम स्वामी
राहुल गांधी कौन सा धर्म मानते हैं, इस पर सवाल उठते रहे है. हाल में ही जब राहुल गांधी ने गुजरात में लगातार मंदिरों का दौरा शुरू किया था, तो ये सवाल तेज हो गए थे. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सीधे सवाल पूछा था. स्वामी ने कहा था- ‘उन्हें (राहुल गांधी) पहले ये साबित करना चाहिए को वह हिंदू हैं. मुझे शक है कि वो ईसाई हैं और 10 जनपथ के अंदर एक चर्च है’.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ का मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र के किनारे स्थित है। 12 ज्योतिर्लिंगों में इसका प्रमुख स्थान है। इस मंदिर को सबसे पहले 1026 ई. में महमूद गजनी ने निशाना बनाया था। गजनी ने यहां जमकर लूटपाट मचाई थी और मंदिर को तहस-नहस कर दिया था। आजादी के बाद सरदार पटेल ने इस मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को इस मंदिर के पुनर्निमाण की आधार शिला रखी। 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया। 1962 में नया सोमनाथ मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। इस मंदिर पर 2003 में आतंकियों ने हमला भी किया था।