हिमाचल-कुल्लू : प्राचीन देव परम्पराओं के साथ हुआ होली के पर्व का भव्य आयोजन, जमकर उड़ा गुलाल
देवताओं के संग होली खेल कर लिया आर्शीवाद, होलिका दहन के साथ निर्वाह की देव परंपरा
कुल्लू, 01मार्च (एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ) : भले ही होली का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन कुल्लू जिला की होली का अपना ही अंदाज है। यहां हर राज्य की भांति जहां सभी समुदाय के लोग मिल कर होली खेलते है वहीं यहां देवी-देवताओ के साथ भी होली खेली जाती है। कुल्लू में बंसत शुरू होते ही रघुनाथ महाराज के पास होली तक 40 दिनों तक होली खेली जाती है। वहीं होली के 8 दिन पहले से वैरागी समुदाय के लोग रघुनाथ महाराज के मंदिर में होली गीत गाते हैं तथा होली की पावन बेला में होलिका दहन तक रघुनाथ को होली राग सुनाते है। वहीं ऐसे में मगलौर में मारकंडेय ऋषि व गौशाला में बुंगडू महादेव देवता के साथ देवता के हारियान होली खेल कर आर्शीवाद लेते है। होली के दौरान यहां – जहां देव परंपराओं का निर्वाह किया गया वहीं आम जनमानस द्वारा होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भले ही कुल्लू में होली देव नीति के साथ मनाई जाती है वहीं जब फाग के तौर पर होलिका दहन होता है तो कुल्लू में होली नहीं मनाई जाती है। इसी परंपरा को निर्वाह करते हुए कुल्लू जिला में वीरवार को हर समुदाय के लोगों ने होली के पर्व को धूमधाम से मनाया। मान्यता है कि जब होलिका दहन हो जाता है तो होली मनाने का कोई महत्व नहीं होता। इसी तौर पर सरकारी फरमान के अनुसार 2 मार्च को होली का अवकाश है लेकिन देवनीति के अनुसार जब कुल्लू में होलिका दहन और फाग उत्सव का आयोजन होता है तो इसके पश्चात यहां साल भर के लिए रंग लगाना देवनीति के अनुसार निषेध है। ऐसे में कुल्लू में वीरवार के दिन विभिन्न समुदाय के लोगों ने आपसी प्रेमभाव को जिंदा रखते हुए होली का पर्व मनाया। ऐसे में कुल्लू जिला के लोगों ने टोली बनाकर रघुनाथ के मंदिर में हाजिरी भरी और राज परिवार के साथ हर्षोल्लास के साथ होली मनाई। इस मौके पर लोगों ने जहां रघुनाथ जी को गुलाल लगाया वहीं उनकी सेवा में समर्पित रघुनाथ जी के छड़ीबरदार कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह हर साल की भांति होली मनाई। बैरागी समुदाय के लोगों ने होली के गीतों को गाया और रघुनाथ के सेवकों के साथ होली खेल कर देव परंपरा को निभाया। कुल्लू जिला प्रेस क्लब के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने कर्मचारियों के साथ खुशी-खुशी होली का पर्व मनाया। समस्त पत्रकारों के साथ होली पर्व का खूब आनंद लिया और सभी को होली पर्व की बधाई भी दी। वहीं जिला के नाली,बंजार,आनी,भुंतर,सैंज में भी होली उत्सव की धूम रही। बंजार के गौशाला में बुंगेश्वर महादेव देवता के साथ देव हारियान ने खूब गुलाल उड़ाया। होली की पावन वेला पर देवता के हारियानों ने देवता के साथ होली खेली।
होली का गीत गाते हुए वैरागी समुदाय के लोग
कुल्लू में ढोल नगाड़ों के साथ होली खेलते हुए बैरागी
बंजार के गौशाला में बुंगेश्चर महादेेव देवता के साथ होली
खेलते देव हारियान
होलिका का देव परंपरानुसार दहन
रघुनाथपुर में होलिका का लोक परंपरानुसार दहन किया गया। होली के शुभ अवसर पर भगवान रघुनाथ जी की पूजा.अर्चना की गई। रात को राजा रूपी पैलेस के बाहर मैदान में दो स्थानों पर होलिका दहन किया गया। कुल्लू में होलिका दहन के अवसर पर राजपरिवार प्रमुख महेश्वर सिंह और अन्य सदस्य मौजूद रहे। महंत समुदाय के लोगों ने होली के पारंपरिक गीत भी गाये । सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु रघुनाथपुर पहुंचे हुए थे। होलिका दहन के बाद लोग बची हुई राख और लकड़ी को घर ले गए। मान्यता है कि होलिका दहन के बाद बची हुई लकड़ी और राख को घर में ले जाने से बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुल्तानपुर में हर साल 2 स्थानों पर होलिका दहन होता है। जिनमें एक रघुनाथ होलिका दहन और दूसरा भगवान नरसिंह होलिका दहन। उन्होंने कहा कि होलिका दहन में झाडिय़ों के बीच में एक ध्वजा होती है। ऐसी मान्यता है कि ध्वजा को हाथ लगाने से मनोकामना पूरी होती है। लोगों ने कहा कि होलिका दहन में भगवान रघुनाथ और नरसिंह भगवान के द्वारा होलिका का दहन किया जाता है। जिसके बाद होली का त्योहार संपन्न होता है। बता दें कि होलिका दहन से पहले दिन में लोगों ने ढोल नगाड़े बजाकर टोलियों में एक दूसरे के साथ होली खेली। वहीं शाम को फाग उत्सव के साथ होली का त्योहार संपन्न हुआ।
ढालपुर में मनाई फूलो की होली
जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में चल रहे होली उत्सव की तीसरे दिन भी धूम रही। हर साल की तरह इस साल भी लोगों ने फू लों की होली खेली। इसके साथ युवाओं ने मस्ती करते हुए खूब नाच.गाना भी किया। बता दें कि जिला मुख्यालय के प्रदर्शनी मैदान में हर साल की तरह इस साल भी उमंग कृष्णा उत्सव समीति ने फू लों की होली का आयोजन किया। समिति ने लोगों के होली मनोरंजन के लिए डीजे का भी प्रावधान किया था। जिसमें सैकड़ों की संख्या में उमड़े युवक व युवतियां कुल्लवी, लाहुली, किन्नौरी, फिल्मी, पंजाबी व होली गीतों पर जमकर ठुमके लगाए। इस दौरान रंगों के साथ फूलों की होली भी खेली गई। समिति के अध्यक्ष ललित कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान कृष्ण की बाल रूपी मूर्ति के साथ दियार घाटी के रूआडू, बगीचा, भुंतर, अखाड़ा बाजार से होते हुए एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान होली उत्सव में टकोली के अधिष्ठाता देवता घटोत्कच ने बतौर मेहमान शिरकत की।