हिमाचल प्रदेश: कुल्लू स्थित छमाहूं देवता के कोटला गांव पर लगा कलंक।

कोटला गांववालों ने दिल्ली से आये अकेले युवक को धमकाया।

(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ) नोएडा: एक बार फिर देवभूमि को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार होना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है उसी देवभूमि के कुल्लू जिला स्थित गांव कोटला के नाम पर एक काला कलंक लग गया है। ये दिशाहीन और असंवेदनशील कोटला गांव से जुड़ा बेहद दुःखद समाचार है। कुल्लू का कोटला गांव जिसे बड़ा छमाहूं नाम के देवता का घर माना जाता है। उन्हीं देवता के गांव में गांव वालों ने बीते शुक्रवार को बहुत ही नीच हरकत कर ड़ाली। इस घटना का दिल्ली और गुरुग्राम में सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो चुका है। लोग लिख रहे हैं कि हिमाचल के नाम पर कलंक है ये कोटला गांव। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हिमाचल से बाहर भी लोग इस गांव को गालियां दे रहे हैं। दरासल प्रदीप कुमार नाम का लड़का गुरुग्राम दिल्ली से किसी को ढूढ़ता हुआ, अपने घर से भाग कर हिमाचल के कोटला पहुँच गया। जहाँ उसे वो लोग तो नहीं मिले, जिनसे मिलना था लेकिन उनकी तलाश में देर शाम कोटला गांव पहुँच गया। क्योंकि गुरुग्राम से आया ये युवक वहां किसी को नहीं जानता था और वापिस लौटने के लिए कोई वाहन उपलब्ध नहीं था। पहाड़ों पर नया होने के कारण उक्त युवक गांव के एक कोने पर बैठ गया। उक्त युवक के अनुसार इस पर कुछ महिलाओं ने कथित तौर पर हंगामा खड़ा कर दिया। किसी ख़तरनाक अनपढ़ क़बीले वालों की तरह कोटला गांव के लोग वहां डंडे, दराट, हथियार ले कर उस युवक से बत्तमीजी करने लगे। यहाँ तक कि गांव वालों ने उसे तुरंत आतंकवादी क़रार दे डाला। उसे बहुत बुरी तरह से डराया और धमकाया। बेचारा मौत सामने देख कर बहुत बुरी तरह डर गया। आप खुद ही कल्पना कीजिये कि आप एक गांव को धार्मिक मान कर जाएँ और वहां के लोग आपकी जान के पीछे ही पड़ जाएँ तो क्या होगा? वो भी अपने ही देश भारत में। अगर यही कोटला वाले किसी शहर में फस जाएँ और लोग उनके साथ ऐसा करें तो क्या हो? ख़ैर उक्त युवक के अनुसार उसने गांव वालों को अपना परिचय दिया। ये भी बताया कि वो किससे मिलने वहां आया है। बजाये उन लोगों को सूचित करने के कोटला वालों ने सैंज पुलिस को बुला लिया। जो उसे पकड़ कर सैंज थाना ले गए। दिल्ली और गुरुग्राम तक तो ये खबर बहुत रात पहुँची। युवक के माता-पिता की साँसे अटक गईं कि अब वो क्या करें? किसी के जिग़र का टुकड़ा ना जाने किन कबीले वालों के हाथों में होगा? पुलिस से बात होने के बाद माँ-बाप को चैन मिला। फिलहाल ख़बर लिखे जाने तक ये युवक हिमाचल में ही था और देवता छमाहूं के कोटला गांव की डरावनी यादें लिए दिल्ली लौटने की तैयारियां कर रहा था। आप को बताते चलें कि ये वही कोटला गांव है जहाँ कुछ वर्षों पूर्व जब आग से पूरा गांव जल गया था तब हिमाचल ही नहीं हिमाचल के बाहर से भी लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया था। तब किसी गांव वाले ने नहीं पूछा कि ये पैसा किसी आतंकवादी का दिया हुआ तो नहीं है। लेकिन रास्ता भटके हुए युवक में उनको बिना पड़ताल और बिना अपराध ही आतंकवादी दिख गया। अब दिल्ली और गुरुग्राम में कोटला वालों की ये हरकत सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इस व्यवहार के बारे में सुन कर लोग कोटला वालों को कबीले वाले बोल रहे हैं। लोगों का कहना है कि देवता छमाहूं के गांव वालों की ऐसी हरकत से बहुत आघात पहुंचा है। देवता के गांव में ऐसा जघन्य पाप? क्या एक मेहमान के लिए सोने के लिए मंदिर या सराय में जगह तक नहीं? मंदिर के प्रांगण में ही सुला देते। क्या गांव में कोई पढ़ा-लिखा समझदार इंसान नहीं? उधर गांव वालों का कहना है कि उक्त युवक की गतिविधियां उनको कुछ संदिग्ध लग रही थीं। इसलिए उनहोंने उससे पूछताछ की। सच अभी पड़ताल के बाद ही सामने आ पायेगा लेकिन कोटला गांव के लिए ये राष्ट्रीय तौर पर कलंक कथा हो गई। क्योंकि देवताओं के गांव में ऐसा होने की उम्मीद किसी को नहीं थी। उक्त युवक का कहना था कि मैं भक्तिभाव से आया था किसी ने मेरी बात नहीं सुनी है अब देवता छमाहूं ही मेरे साथ हुए अन्याय को खुद देखें। क्योंकि मुझे किसी से भी न्याय की उम्मीद नहीं है। मैं इस गांव तो लौट कर कभी नहीं आऊंगा और जिंदगी भर नहीं भूलूंगा कि इस गांव में किस तरह के लोग रहते हैं।

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