पटना
नोटबंदी के एक साल बाद बुधवार को एक ओर इसकी सालगिरह मनाई गई तो दूसरी ओर विपक्ष ने काला दिवस मनाकर विरोध किया। सरकार की पॉलिसी पर विचारों में मतभेद इससे पहले शायद ही देखने को मिले हों। इस बीच हमारे सहयोगी टाइम्स नाऊ के पास प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की वह सूची हाथ लगी है जिसमें उन राजनेताओं के नाम है जिन पर नोटबंदी के तुरंत बाद देश के साथ धोखाधड़ी के मामले हैं।
इस लिस्ट में बीएसपी सुप्रीमो मायावती और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती का नाम प्रमुख है। इन सभी ने नोटबंदी के तुरंत बाद टैक्स चोरी कर करोड़ों की राशि का धन शोधन कराया। न सिर्फ हाई- प्रोफाइल नेता, बल्कि इस लिस्ट में शीर्ष अधिकारी, बैंक अधिकारी, चार्टेट अकाउंटेट और वकीलों के नाम भी शामिल हैं। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि सूची में शामिल लोगों ने कालेधन को वैद्य करने के लिए शेयर बाजार का जमकर इस्तेमाल किया।
ईडी की फाइल में करीब 11,000 करोड़ से ज्यादा की संदिग्ध राशि मिली है और 4000 मामले एक्सचेंज प्रबंधन अधिनियम (एफईएमए) और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में दर्ज है। ईडी ने इस दौरान पूरे भारत में 800 छापे मारे और 600 कारण बताओ नोटिस जारी किए। इस मामले में करीब 54 गिरफ्तारियां हुईं।
फाइल में यह तथ्य भी सामने आया है कि भारत के बाहर पैसे ट्रांसफर के लिए संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, मलयेशिया और हॉन्ग कॉन्ग देशों को वित्तीय माध्यम की तरह इस्तेमाल किया गया। इसी के साथ कई बड़े व्यापार में कालेधन को वैद्य करने के लिए सहकारी क्रेडिट सोसाइटीज और कंपनियों का इस्तेमाल किया गया।
यही नहीं ईडी के छापों में करोड़ों की राशि के नए नोट मिले जिससे इस मामले में बैंकों की मिलीभगत भी जाहिर होती है। यानी नोटबंदी के बाद बैंकों ने हाई-प्रोफाइल लोगों के रुपये बदलवाए जिससे आम आदमी को उस समय नई नोटों की कमी का सामना करना पड़ रहा था।