(न्यूज़लाइवनाउ-India) नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच में सामने आया है कि इस साल जम्मू-कश्मीर में हुए दो आतंकी हमलों में पाकिस्तान का हाथ रहा. इस तरह वह एक बार फिर बेनकाब हुआ है. एनआईए ने पाया है कि जनवरी में राजौरी के एक गांव में और अप्रैल में पूंछ जिले में सेना के वाहन पर हमले को अंजाम देने वाले लोगों का एक ही ग्रुप था. इन आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर्स के इशारे पर इन दोनों ही हमलों को अंजाम दिया.
पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है. ये बात किसी से छिपी नहीं है. अब उसकी काली करतूतें एक बार फिर दुनिया के सामने आई हैं. दरअसल, पहला आतंकी हमला एक जनवरी को राजौरी जिले के ढांगरी गांव में हुआ था. इस हमले में पांच लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हुए. अगली सुबह दो और लोगों की मौत हो गई. इस तरह हमले में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या सात हुई. इस हमले को आईईडी धमाके के जरिए अंजाम दिया गया था, जिसे गांव के एक घर में प्लांट कर दिया गया था. जैसे ही लोग इस आईईडी के करीब में आए, वैसे ही जोरदार धमाका हुआ.
अधिकारियों को बनाया निशाना
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला कि राजौरी में आईईडी लगाने का काम दो आतंकियों ने किया, जिनका मकसद था कि जब सेना के वरिष्ठ अधिकारी गांव के इस घर में आएंगे, तब धमाका होगा. हालांकि, ये धमाका पहले ही हो गया. इस मामले में राजौरी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ, लेकिन फिर एनआईए ने इसे टेकओवर कर लिया. इस हमले के लिए दो लोगों ने लॉजिस्टिक मदद दी थी, जो हमले के बाद अंडरग्राउंड हो गए.
सूत्रों ने बताया कि सितंबर में एनआईए ने निसार अहमद और मुश्ताक हुसैन को गिरफ्तार किया. दोनों ही पूंछ जिले के रहने वाले हैं. इनके ऊपर ढांगरी गांव में हुए धमाके में शामिल आतंकियों को पनाह देने का आरोप है. उनसे पूछताछ के बाद एनआईए को पता चला कि निसार लश्कर-ए-तैयबा के एक हैंडलर अबू कताल उर्फ कतल सिंधी के लगातार संपर्क में था. ओवरग्राउंड वर्कर निसार को पहले गिरफ्तार किया गया था. वह सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत दो साल (हिरासत में) बिताने चुका था और उसे 2014 में जेल से रिहा कर दिया गया था.
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यहां हैरानी वाली बात ये है कि निसार पिछले दो-तीन सालों से मुखबिर के रूप में काम कर रहा था. ढांगरी में हमले के बाद स्थानीय पुलिस ने उसे बुलाया भी था. एनआईए की पूछताछ के दौरान निसार ने बताया कि उसे कतल सिंधी ने हमले को अंजाम देने वाले दोनों आतंकियों को पनाह देने को कहा था. निसार ने मुश्ताक हुसैन को 75 हजार रुपये दिए थे, जिनके जरिए गुफाओं में एक छिपने योग्य जगह बनानी थी. निसार आतंकियों को खाना पहुंचाता था. अप्रैल में पूंछ जिले में सेना के जवानों पर हमले से पहले आतंकियों ने उससे खाना मांगा और फिर वे बिना बताए गायब हो गए.
हमले को अंजाम कैसे दिया?
एक अधिकारी ने बताया कि हमले से दो दिन पहले दोनों आतंकी गुफा से गायब हो गए. इसके बाद उन्होंने सेना के वाहन पर हमला किया, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए और एक सैनिक घायल हुआ. ये हमला पूंछ जिले के भिम्बर गली-सूरनकोट रोड पर भट्टा डूरियन के पास हुआ. अधिकारी ने आगे बताया, ‘सबूतों को इकट्ठा करने के बाद एनआईए ने पाया है कि दोनों घटनाओं में हमलावर एक ही थे और उन्होंने पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं सैफुल्ला उर्फ साजिद जट, अबू कताल उर्फ कतल सिंधी और मोहम्मद कासिम के निर्देश पर इसे अंजाम दिया था.’
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