(न्यूज़लाइवनाउ-Nepal) नेपाल में सुशीला कार्की की अगुवाई में गठित अंतरिम सरकार के गठन के बाद राजनीतिक स्थिरता के साथ शांति और आमजन का जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। पूरे देश से कर्फ्यू समाप्त कर दिया गया है। अब नई सरकार अपने मंत्रिपरिषद का विस्तार करने की कवायद में जुटी हुई है।
अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की रविवार को अपने कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल कर सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट का स्वरूप सीमित रखा जाएगा। फिलहाल वह अपने सहयोगियों संग मंत्रियों के नामों पर गहन चर्चा कर रही हैं। वहीं रविवार सुबह 11 बजे सिंह दरबार में कार्की आधिकारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगी। शुक्रवार रात को उन्हें अंतरिम सरकार की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
खबर है कि पीएम कार्की गृह, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों सहित कई विभाग फिलहाल अपने पास रख सकती हैं। शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बैठकों के बीच उन्होंने समय निकालकर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में घायल लोगों से सिविल अस्पताल जाकर मुलाकात भी की। शुक्रवार को शपथ लेने के बाद भी वह अस्पताल पहुंची थीं।
सोमवार से खुलेंगे शैक्षणिक संस्थान
काठमांडू महानगर क्षेत्र के स्कूल सोमवार से दोबारा खुलेंगे। शनिवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि शिक्षक और अन्य कर्मचारी रविवार को ही स्कूल में उपस्थित होंगे, जबकि पढ़ाई का कार्य सोमवार से शुरू होगा। रविवार को विद्यालयों में प्रशासनिक कार्य, नुकसान का आकलन और विवरण दर्ज किया जाएगा। जिन स्कूलों की इमारतें सुरक्षित हैं, वहीं से पढ़ाई शुरू होगी। गौरतलब है कि 8 सितंबर से छात्र आंदोलन के कारण सभी स्कूल बंद थे।
लंबे समय की अशांति के बाद नेपाल में अब रोजमर्रा की स्थिति सुधरने लगी है। शनिवार को काठमांडू घाटी सहित कई हिस्सों से कर्फ्यू और निषेधाज्ञा हटा दी गई। बाजार, किराना स्टोर, सब्जी मंडियां और मॉल फिर से खुल गए हैं। सड़कों पर यातायात भी सामान्य दिखने लगा है।
सेना ने भी प्रतिबंधात्मक आदेश आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बहाल हो गईं और लंबी दूरी की बसें भी चल पड़ीं। हालांकि, पुलिस अधिकारियों के अनुसार कुछ संवेदनशील इलाकों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अभी भी पाबंदियां लागू रहेंगी।
हिंसक प्रदर्शनों के बाद जिन सरकारी दफ्तरों और इमारतों में तोड़फोड़ व आगजनी हुई थी, वहां सफाई और मरम्मत का काम जारी है। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ केपी शर्मा ओली सरकार के विरुद्ध शुरू हुए जेन-जीन आंदोलन में कम से कम 51 लोगों की मौत हुई थी। हालात बिगड़ने के बाद ओली और उनके मंत्रियों को पद से इस्तीफा देना पड़ा और सुरक्षा की कमान सेना ने संभाल ली।
न्यायिक धरोहर को भारी नुकसान
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि छात्र आंदोलन और हिंसक प्रदर्शनों के दौरान कई अहम न्यायिक दस्तावेज राख में बदल गए। उपद्रवियों ने संसद भवन के साथ सुप्रीम कोर्ट को भी आग के हवाले कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश प्रकाशमान सिंह राउत ने बयान जारी कर कहा कि दंगों में अदालती ढांचे को गंभीर क्षति पहुंची और न्याय व्यवस्था से जुड़े कीमती अभिलेख नष्ट हो गए।
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि हालांकि नुकसान बड़ा है, लेकिन न्यायपालिका अपने कर्तव्य और मूल्यों से विचलित नहीं होगी। अदालत जल्द से जल्द अपना कामकाज बहाल करेगी ताकि नागरिकों की न्यायिक अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके।
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