NGT बोली-दिल्ली में इमर्जेंसी जैसे हालात, मेट्रो को किराया घटाने और फेरी बढ़ाने का निर्देश

नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर में जहरीले स्मॉग ने एक बार फिर दस्तक दी है। नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने कहा है कि दिल्ली में इमर्जेंसी जैसी स्थिति है। एनजीटी ने यूपी, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें। ट्राइब्यूनल ने इन राज्यों से 9 नवंबर तक ऐक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है।

इसके अलावा एनजीटी ने दिल्ली सरकार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली के तीनों नगर निगमों और पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसी भी बाजार में प्लास्टिक के थैलों का इस्तेमाल न हो।

दिल्ली मेट्रो को 10 दिनों तक किराया कम करने का आदेश
इस बीच इन्वाइरनमेंट पलूशन (प्रिवेंशन ऐंड कंट्रोल) अथॉरिटी (EPCA) ने प्रदूषण संकट से निपटने के लिए तत्काल कुछ कदम उठाने के आदेश दिए हैं। EPCA ने दिल्ली मेट्रो को पीक आवर के दौरान कम से कम 10 दिनों तक किराया कम रखने, ज्यादा कोच लगाने और फेरी बढ़ाने का आदेश दिया है। इस बीच मेट्रो सुरक्षा में तैनात CISF सुरक्षाबलों के बीच 8,000, एयरपोर्ट पर 5,000 और बाकी जगहों पर 1,000 मास्क बांटे गए।

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EPCA ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी ‘संकटपूर्ण स्थिति’ का सामना कर रही है और अगले कुछ दिनों तक ऐसी स्थिति बनी रह सकती है। EPCA चेयरमैन भूरे लाल और सदस्य सुनीता नरायन ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान के तहत उठाए जा रहे कई कदमों का ऐलान किया। मेट्रो किराया घटाने और कोच बढ़ाने के साथ-साथ EPCA ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को और ज्यादा बसों के जरिए अपने पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत करने का निर्देश दिया है।
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दिल्ली-एनसीआर में पार्किंग शुल्क 4 गुना बढ़ाने का निर्देश
EPCA ने दिल्ली-एनसीआर में नगर-निगमों को पार्किंग शुल्क में 4 गुना इजाफा करने का आदेश दिया है। इसके अलावा उसने दिल्ली-एनसीआर में डस्ट पलूशन मानकों का उल्लंघन करनेवाली रोड कंस्ट्रक्शन एजेंसियों पर 50,000 रुपये फाइन लगाने का निर्देश दिया है। EPCA ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया है कि अगर प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ती है तो वह ऑड-ईवन और निर्माण गतिविधियों पर बैन लगाने जैसे कदम उठाने के लिए तैयार रहे।

हाई कोर्ट ने भी 20 नवंबर तक केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि खेतों में पराली जलाने से ज्यादा कंस्ट्रक्शन साइट से पलूशन बढ़ रहा है। हालांकि कोर्ट ने माना कि नवंबर और दिसंबर के महीने में पराली जलाने से प्रदूषण ज्यादा बढ़ता है। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। कोर्ट ने 20 नवंबर से पहले केंद्र व दूसरी सिविक एजेंसियों से अपने संबंधित आदेशों के अनुपालन के संबंध में रिपोर्ट तलब किया है।

दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की वजह से राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या गंभीर हुई है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा, ‘पंजाब में बायॉमास को जलाने से भी दिल्ली पर असर हुआ है। शहर में उमस भी बढ़ी है और अभी इसके और बढ़ने की उम्मीद है।’

दूसरी तरफ, सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रटरी ए. सुधाकर ने ईपीसीए को बताया कि पंजाब और हरियाणा से धुआंवाली हवा और पूर्वी क्षेत्र से नमीवाली हवा दिल्ली के स्थानीय प्रदूषकों के साथ मिलकर स्थिति को और खराब बना रही है। सुधाकर ने कहा कि दिल्ली में अगले दो-तीन दिनों में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार की उम्मीद बहुत कम है। अथॉरिटीज को उम्मीद है कि 10 नवंबर तक पराली जलाने में कमी आ सकती है।

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