बीएचयू के छात्रों का लगातार 16वें दिन भी प्रदर्शन जारी।
इससे पहले बीएचयू प्रशासन ने दावा किया था कि छात्रों ने हड़ताल वापस ले ली है। गुरुवार से ही बीएचयू प्रशासन की ओर से छात्रों को मनाने की कवायद काफी तेज हो गई थी।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के असंतुष्ट छात्रों का प्रदर्शन अभी भी जारी है। 16 दिन से धरने पर बैठे छात्र शुक्रवार को भजन-कीर्तन करते नजर आए। इससे पहले बीएचयू प्रशासन ने दावा किया था कि छात्रों ने हड़ताल वापस ले ली है। गुरुवार से ही बीएचयू प्रशासन की ओर से छात्रों को मनाने की कवायद काफी तेज हो गई थी। गुरुवार शाम को छात्रों के एक दल ने कुलपति से मुलाकात भी की। छात्रों की ओर से कुछ सवालों के लिखित जवाब को बीएचयू की ओर से मांगा गया था। जिसपर बीएचयू की ओर से 10 दिन के भीतर सवालों का लिखित जवाब देने का आश्वासन भी दिया गया था। इसके बाद से प्रशासन लगातार दावे कर रहा है कि छात्रों का धरना खत्म हो चुका है। छात्रों की मानें तो उनका आंदोलन मजबूती से आगे बढ़ रहा है और जारी रहेगा। बता दें कि इससे पहले बीएचयू प्रशासन की ओर से दावा किया गया कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग के छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति के खिलाफ प्रदर्शन को खत्म करने का फैसला किया है। बीएचयू के प्रवक्ता राजेश सिंह ने कहा था कि छात्रों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद शुक्रवार को कक्षाएं फिर से शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा था कि सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। संस्कृत विभाग के ताले गुरुवार शाम को खोले गए। बता दें कि छात्रों ने 7 नवंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करने पर डिपार्टमेंट को बंद कर दिया था। छात्रों के साथ गुरुवार को हुई बैठक में वीसी राकेश भटनागर, डीन प्रोफेसर विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्रा, वरिष्ठ शिक्षक और विश्वविद्यालय के अधिकारी मौजूद रहे। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक प्रदर्शनकारी छात्रों ने एक ज्ञापन विश्वविद्यालय प्रशासन को मांगों की सूची के साथ सौंपा। मुख्य प्रॉक्टर ओपी राय और विभाग के प्रमुख ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनके सवालों का जवाब 10 दिनों के भीतर दिया जाएगा, जिसके बाद छात्रों ने धरना प्रदर्शन बंद करने का फैसला किया। धरने की अगुवाई कर रहे पीएचडी स्कॉलर चक्रपाणि ओझा के मुताबिक, यह विरोध फिरोज खान (बीएचयू के प्रोफेसर) का नहीं, बल्कि धर्म विज्ञान डिपार्टमेंट में एक गैर हिंदू की नियुक्ति का है। अगर यही नियुक्ति विश्वविद्यालय के किसी अन्य डिपार्टमेंट में संस्कृत अध्यापक के रूप में होती तो विरोध नहीं होता। यह समझने की जरूरत है कि संस्कृत विद्या कोई भी किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़ और पढ़ा सकता है, लेकिन धर्म विज्ञान की बात जब कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति करे तो विश्वसनीयता नहीं रह जाती।