जानें कैसे PoK में घुस कर भारतीय सेना ने मारे आतंकी

army-tral-kashmir-pti.jpg.image.975.568

35,000 फीट की जमा देने वाली ऊंचाई से तेजी से नीचे उतरते सब कुछ इतने पिन ड्रॉप साइलेंस के साथ कि जमीन पर किसी को हल्की सी भी भनक नहीं लगे. ठीक उसी वक्त जमीन पर भारतीय सेना के बहादुर स्पेशल फोर्सेज के 7 दस्ते एलओसी के पार पाकिस्तानी बैरीकेड्स से रेंग-रेंग कर आगे बढ़ते हुए. घातक जाबांजों की ये आठों टीम बिना कोई आहट दिए अपने टारगेट ठिकानों पर पहुंच गए. फिर अचानक धमाके, स्मोक बमों से हर तरफ धुआं और गोलीबारी. 18 सितंबर से शुरू हुई प्लानिंग से लेकर ठीक 10 दिन बाद सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिए जाने तक का पूरा ब्योरा-

 

8 सितंबर को जैश-ए-मोहम्मद फिदाइन दस्ते ने भारतीय सेना की 12 ब्रिगेड के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेशन पर हमला किया. हमले में 19 जवान शहीद. मौके पर मारे गए आतंकियों से जब्त जीपीएस सेट्स से हमलावरों के पाकिस्तान से जुड़ाव का पता चला. उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए दो स्थानीय गाइड्स ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की. उरी आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर.

8 सितंबर को जैश-ए-मोहम्मद फिदाइन दस्ते ने भारतीय सेना की 12 ब्रिगेड के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेशन पर हमला किया. हमले में 19 जवान शहीद. मौके पर मारे गए आतंकियों से जब्त जीपीएस सेट्स से हमलावरों के पाकिस्तान से जुड़ाव का पता चला. उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए दो स्थानीय गाइड्स ने खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की. उरी आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर.

23 सितंबर की रात प्रधानमंत्री मोदी रायसीना हिल के साउथ ब्लॉक स्थित भारतीय सेना के टॉप सीक्रेट वॉर रूम में पहुंचे. सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और एनएसए ने भारत की अगली कार्रवाई के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया. इस बैठक में रॉ के सेक्रेटरी राजेंदर खन्ना, इंटेलीजेंस ब्यूरो निदेशक दिनेश्वर शर्मा और एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी भी उपस्थित रहे. इस बीच, इसरो के जमीन पर नजर रखने वाले सैटेलाइट्स के कैमरों को पीओके पर जूम कर दिया गया. साथ ही मानव रहित एरियल व्हेक्लिस को पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों की हर हरकत पर नजर रखने के लिए लगा दिया गया. रॉ ने भी अपने मानव संसाधनों को पीओके के चिह्नित आठ आतंकी ठिकानों पर नजर रखने के लिए तैनात कर दिया. उन्हें हर सैनिक आवाजाही पर लगातार अपडेट देने का निर्देश दिया गया.पाकिस्तान के अंदर भी रॉ ने अपने संसाधनों को रावलपिंडी और इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ और 10कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मालिक जफर इकबाल के मूवमेंट्स को मॉनीटर करने पर लगा दिया. इसके अलावा नॉर्थन एरिया के फोर्स कमांडर की आवाजाही पर भी नजर रखी गई. रॉ का सीधा निर्देश था कि बाज की तरह नजर रखो और किसी भी लीक से हटकर होने वाली बैठक की तत्काल सूचना दो.

दिल्ली में सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और इंटेलीजेंस एजेंसियों ने अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिए. उनके सेलुलर फुटप्रिंट्स भी सभी नेटवर्क्स से हटा दिए गए. इसके बाद उनकी जितनी भी बैठकें हुई वो अत्यंत गोपनीय ढंग से हुईं. इन बैठकों में जाने के लिए वो बिना यूनिफॉर्म और बिना स्टाफ कार के पहुंचे. ये सभी बैठकें रायसीना हिल्स से दूर अज्ञात स्थानों पर हुईं. इसके बाद आर्मी की स्पेशल फोर्सेज की 4 और 9 पैरा बटालियन्स के कमांडिंग ऑफिसर्स को उनके आगामी मिशन के बारे में बताया गया. उनसे कहा गया कि वो अपने सबसे जाबांज योद्धाओं को चुनें.

फिर जल्दी ही एमआई-17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स ने कमांडो और उनके उपकरणों को एलओसी के पास अग्रिम क्षेत्रों में पहुंचाना शुरू कर दिया गया. उनसे अगले आदेश की प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया. नॉर्थन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने 6 बिहार और 10 डोगरा बटालियन्स को अपने घातक कमांडो को निर्णायक ऑपरेशन के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया. इन दोनों बटालियन्स के जवान ही उरी हमले में हताहत हुए थे. इनकी घातक टीम को एलओसी के पास लॉन्च लोकेशन्स पर स्ट्राइक फोर्स को ज्वाइन करने के लिए आदेश मिला.

26 सितंबर को एनएसए डोभाल ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और इंटेलीजेंस हेड्स के साथ बैठक की. 250 किलोमीटर के दायरे में आठ ठिकानों पर एक साथ धावे की ऑपरेशनल डिटेल्स को अंतिम रूप दिया गया. पीओके के जिस इलाके में भारतीय जाबांजों को जाना था, वो पाकिस्तानी सेना की तीन डिविजन्स के दायरे में आते थे. यहीं कमांडोज को 500 मीटर से लेकर तीन किलोमीटर अंदर तक जाना था.

अमावस्या के पहले की घनेरी मध्य रात में शुरू हुआ ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक्स. एलओसी के पार सेना की इलीट कमांडो टीमें बैरीकेड्स से फिसलते हुए अंधेरे में अदृश्य हो गईं. पैदल ही पहुंचे इन कमांडो की ना तो पाकिस्तानी रडार और ना ही हवा में पूर्व चेतावनी देने वाला एयरक्राफ्ट कोई टोह ले सका. ठीक उसी वक्त 30 पैरा कमांडो को काफी ऊंचाई पर खुलने वाले विशेष हाहो पैराशूट्स से उतारा गया. ये पैराट्रूपर्स 35,000 फीट की ऊंचाई से कूदे. ये इसलिए किया गया कि पाकिस्तानी रडार और श्रव्य उपकरण उन्हें पकड़ ना पाएं. जीपीएस गैजेट्स से लैस ये कमांडो ठीक उन्हीं जगह पर उतरे जैसा कि सोचा गया था. यानी पीओके के अंदर आतंकी ठिकानों के पास. इसी के साथ कमांडो की सात और टीमें भी अपने अपने लक्षित आतंकी ठिकानों तक बिना कोई भनक दिए पहुंच गईं. पैरा कमांडो टेवर 21 और एके-47 असाल्ट राइफल्स के साथ ही रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स और रूसी थर्मोबेरिक हथियारों से लैस थे. चीते की तेजी और पूरे समन्वय के साथ स्निपर्स ने साइलेंसर्स लगे हथियारों से आतंकी ठिकानों के बाहर पहरेदारों को हमेशा के लिए शांत किया. उसी वक्त कमांडोज ने फुर्ती के साथ शेल्टर में घुसकर भारी गोलीबारी में आतंकियों को ठिकाने लगाया. सब कुछ इतनी तेजी से कि दुश्मन को कुछ सोचने का भी वक्त नहीं मिला. आग के तूफान की तरह आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के साथ वहां मौजूद रॉकेट लॉन्चर्स और मशीनगन्स भी भारतीय जांबाज साथ ले आए.

रात करीब ढाई बजे भारतीय आर्टिलरी यूनिट्स ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को भ्रम में रखने के लिए उनकी चौकियों को निशाना बनाकर गोलाबारी करना शुरू किया. पाकिस्तानी सैनिकों की और से भी जवाबी फायरिंग की गई. इसी शोरगुल के बीच भारतीय कमांडो ने लौटना शुरू किया. उनकी तरफ पाकिस्तानी सैनिकों का ध्यान ही नहीं गया. दुश्मन के सैनिक भारतीय फायरिंग का जवाब देने के लिए तेजी से अपने बंकरों की ओर भागे. इस बीच भारतीय स्पेशल फोर्सेज टीमों को अपने क्षेत्र में बिना किसी चुनौती का सामना किए लौटने का मौका मिल गया. दुश्मन पूरी तरह धोखे में रहा. पाकिस्तानी सेना को पता भी नहीं चला कि किस आफत ने उन्हें निशाना बनाया.

इस पूरे ऑपरेशन में हमारे एक कमांडो का पैर लौटते वक्त बारूदी सुरंग पर पड़ गया जिससे वो घायल हो गया. इसके अलावा किसी जवान को कोई क्षति नहीं पहुंची. ये टेक्स्ट बुक की तरह पूरी तरह सटीक ऑपरेशन था. इस पूरे ऑपरेशन की वीडियोग्राफी स्पेशल फोर्सेज कमांडो के हेलमेट पर लगे कैमरों से की जाती रही. पैरा कमांडो ने स्टिल कैमरा से से तस्वीरें भी ली. इनके अलावा आसमान से यूएवी और नीची कक्षा वाले एनटीआरओ सैटेलाइट से भी पूरे एक्शन को फिल्माया गया. ये जानकारी सेना के उच्च पदस्थ एक सूत्र ने इंडिया टुडे/आज तक को दी.

सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना अपने उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब रही. सभी कमांडो 29 सितंबर को सुबह 9 बजे तक अपने अपने बेस में लौट आए. ऑपरेशन की समीक्षा के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई गई. सुबह 11 बजे के पास डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) ने प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान में अपने समकक्ष को पीओके में भारत के कामयाब ऑपरेशन से अवगत कराया गया.

 

 

 

 

Leave A Reply