दक्षिणी चीनी समुद्र में चीन की तरफ से बनाए गए एक द्वीप को लेकर चीन और अन्य देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस द्वीप पर चीन की तरफ से लगातार सेना बढ़ाए जाने से अन्य देशों में असुरक्षा का भाव पैदा हो रहा है। फिलीपींस और अमेरिका इसको लेकर पहले ही अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।
फिलीपींस ने एक अर्बिटिरेशन कोर्ट में मामला दाखिल करते हुए कहा थ्ाा कि दक्षिणी चीनी समुद्र में चीन संसाधनों का दुरुपयोग कर रहा है और यह दूसरे देशों के लिए चिंता का विषय है। वहीं चीन ने अर्बिटिरेशन कोर्ट में इस सुनवाई का विरोध कर दिया थ्ाा। चीन ने साफ किया है कि इस मामले का निर्णय इस कोर्ट में नहीं हो सकता है।
अमेरिका और चीन लगातार इस क्षेत्र में सैन्य अभ्यास करते रहे हैं। यह क्षेत्र बीजिंग और वॉशिंगटन दोनों के लिए काफी महत्व का क्षेत्र है। दोनों ही देश एक दूसरे के ऊपर उकसाने का आरोप लगा रहे हैं।
चीन के सरकारी न्यूज पेपर ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि दक्षिणी चीनी समुद्र को लेकर तनाव कम होगा या फिर बढ़ेगा, यह सब अमेरिका और फिलीपींस के आगे लेने वाले निर्णयों पर निर्भर करेगा।
फिलीपींस ने इस क्षेत्र के अधिकारिक दर्जे को लेकर वर्ष 2013 में एक मामला सामने लाया था।
इस मामले को लेकर चीन के ‘नाइन-डेस लाइन’ पर मनीला की ट्रिब्यूनल ने 15 बिंदुओं पर कड़ी आलोचना की थी। इसमें कहा गया था कि कैसे दक्षिण चीन सागर के 85 फीसदी हिस्से पर 69 साल पुराना यह कब्जा है।
आपको बताते चले कि ट्रिब्यूनल इस बात पर फैसला नहीं देगी की दक्षिणी चीनी समुद्र में किसकी संप्रभुत्ता है। लेकिन इस बात को ध्यान में रखेगी कि संयुक्त राष्ट्र संघ के समुद्रों को लेकर बने नियम क्या है और कौन सा देश भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार यहां पर अपना दावा मजबूत कर सकता है।
इस मामले में फिलीपींस के अलावा ताइवान, वियतनाम, मलेशिया और बुर्नेई शामिल हैं। इन देशों ने भी इस क्षेत्र पर अपना दावा ठोंका है। पर यूएनसीएलओएस के नियमों के अनुसार, सबसे मजबूत दावा फिलीपींस का ही बनता नजर आ रहा है।