भारतीय वायु सेना का हो रहा है कायाकल्प, 2027 तक पूरी तरह से बदल जाएगी वायु सेना
कई युद्धों में जिस तरह से वायु सेना ने निर्णायक भूमिका रही है, उससे यह माना जाने लगा कि आने वाले समय में युद्ध के फैसले इसकी ताकत पर ही निर्भर करेगी
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : भारतीय वायु सेना ने अपनी ताकत और क्षमता का लोहा पूरी दुनिया को मनवाया है। यह दुनिया के श्रेष्ठतम वायु सेनाओं में से एक है। दरअसल, तकनीकी विकास के युग में युद्ध के तौर-तरीकों में भी भारी बदलाव आया है। हाल के दशकों में युद्ध में थल सेना के साथ वायु सेना की भूमिका अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। कई युद्धों में जिस तरह से वायु सेना ने निर्णायक भूमिका रही है, उससे यह माना जाने लगा कि आने वाले समय में युद्ध के फैसले इसकी ताकत पर ही निर्भर करेगी। दरअसल, युद्ध के दौरान जहाँ हमारी थल सेना नहीं पहुँच पाती, वहां पर सेना को पहुंचाने से लेकर दुश्मनों पर ताबड़तोड़ बमबारी करके उनके हौसले तोड़ने में इस हवाई सेना की जबरदस्त भूमिका होती है। आइए आज भारतीय वायू सेना दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं, दुनिया की दस प्रमुख वायु सेनाओं के बारे में। उनकी क्षमता के बारे में। इसके अलावा क्या है भारतीय वायु सेना का वर्ष 2027 का लक्ष्य और दुनिया के प्रमुख मुल्कों का क्या है रक्षा वजट।
भारत का लक्ष्य है कि वह 2027 तक अपने हवाई बेड़े को और मजबूत करेगा। तब उसके बेड़े में 750 से 800 फाइटर जेट शामिल होंगे। अगर भारतीय वायु सेना इस लक्ष्य को पाने में सफल रही तो यह वह दुनिया तीन प्रमुख वायु सेनाओं में से एक होगी। उधर, चीन ने 2025 तक चीन के पास भारत के खिलाफ 300 से 400 के बीच लड़ाकू विमान तैनात करने का लक्ष्य रखा है। वहीं पाकिस्तान के पास यह क्षमता 100-200 होगी।दुनियाभर में सैन्य खर्चों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष 1.2 फ़ीसद की वृद्धि हो रही है। दुनियाभर के सैन्य खर्चों में अकेले अमरीका की हिस्सेदारी 43 फ़ीसद है। सात फीसद के साथ चीन दूसरे स्थान पर है। चीन की सैन्य संख्या क़रीब 23 लाख है, हालांकि इतनी बड़ी संख्या के बावजूद चीन का सेना पर खर्च अमरीका के सामने कहीं नहीं टिकता है। इसके बाद क्रमश: ब्रिटेन, फ़्रांस एवं रूस क़रीब चार फ़ीसद खर्च करते हैं। इस मामले में भारत बहुत पीछे है। भारत का रक्षा बजट ढेड़ फीसद के आसपास है। इसका अस्सी फीसद हिस्सा केवल वेतन, भत्ते एवं अन्य कामों में खच हो जाता है।
विश्व हथियार आयात में भारत का हिस्सेदारी 15 फ़ीसद है। इसके साथ ही भारत हथियार आयात के मामले में पहले नंबर पर था। चीन ने फ्रांस, जर्मनी एवं ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश के रूप में उभरकर सामने आया है। 2005 में भारत ने अपनी ज़रूरत के हथियारों का 70 फ़ीसद हिस्सा देश में बनाने का लक्ष्य तय किया था, जो अब भी 35 से 40 फ़ीसद तक ही पहुंच पाया है।