मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई, SC ने केंद्र से जवाब मांगा।

पुणे की यास्मीन और उनके पति जुबैर अहमद पीरजादे ने याचिका दायर की थी। इसमें सरकारी अधिकारियों और वक्फ बोर्ड जैसे मुस्लिम संगठनों को महिलाओं को देश की सभी मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति देने की अपील की गई है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : भारत में महिलाओं के मस्जिद पर प्रवेश के मामले पर SC में सुनवाई जारी है। देश की सभी मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कानून और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एसए नजीर की बेंच ने सुनवाई की। पुणे की यास्मीन और उनके पति जुबैर अहमद पीरजादे ने याचिका दायर की थी। इसमें सरकारी अधिकारियों और वक्फ बोर्ड जैसे मुस्लिम संगठनों को महिलाओं को देश की सभी मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति देने की अपील की गई है। याचिका में कहा गया है कि मस्जिदों में महिलाओं का प्रवेश रोकना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। मामले की अगली सुनवाई अब 5 नवंबर को होगी। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का आदेश दिया था। 10 से 50 साल तक की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगी पाबंदी को कोर्ट ने लैंगिक भेदभाव करार दिया था। इसी आधार पर यास्मीन और जुबैर ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर महिलाओं को मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ने की अनुमति की मांग की थी। याचिका के अनुसार, अभी भारत में जमात-ए-इस्लामी संगठन के तहत आने वाली मस्जिदों में महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, लेकिन सुन्नी समेत अन्य पंथों की मस्जिदों में पाबंदी है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 16 अप्रैल को सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और वक्फ बोर्ड से चार हफ्ते में जवाब मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ सबरीमाला मंदिर पर कोर्ट के फैसले की वजह से ही इस मांग पर सुनवाई की जा रही है।

Leave A Reply