सोशल मीडिया और ऑनलाइन रिटेल कंपनियों को भारत में ही स्टोर करना होगा पूरा यूजर्स डाटा।

मसौदा में ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए प्रवर्तन निदेशालय में एक अलग विंग गठित करने का सुझाव दिया गया है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : ई-कॉमर्स के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे के अनुसार फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन रिटेल और सोशल मीडिया कंपनियों को अपने यूजर्स के डाटा को भारत में ही रखना पड़ सकता है। सरकार कंपनी कानून में भी संशोधन पर विचार कर सकती है ताकि ई-कॉमर्स कंपनियों में संस्थापकों की हिस्सेदारी घटने के बावजूद उनका नियंत्रण बना रह सके। आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। मसौदा नीति के मुताबिक, जिन आंकड़ों को भारत में ही रखने की आवश्यकता होगी, उसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) द्वारा जुटाए गए कम्युनिटी डेटा, ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म, सोशल मीडिया, सर्च इंजन आदि समेत विभिन्न स्रोतों से यूजर्स द्वारा सृजित डेटा शामिल होगा। यह भी सुझाव दिया गया है कि घरेलू कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराया जाए। मसौदा में ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए प्रवर्तन निदेशालय में एक अलग विंग गठित करने का सुझाव दिया गया है। सूत्रों के अनुसार ‘मार्केट प्लेस’ (ई-कॉमर्स कंपनियां) पर ब्रैंडेड वस्तुएं विशेष रूप से मोबाइल फोन की थोक में खरीद पर पाबंदी लगाई जा सकती है क्योंकि इससे कीमतों में गड़बड़ी होती है। सरकार ने राष्ट्रीय ई-वाणिज्य नीति तैयार करने के लिए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है।

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