(न्यूज़लाइवनाउ-Karnataka) कर्नाटक की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर पर गलत आंकड़े देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और बीजेपी की दो महिला नेता भड़क गईं. दरअसल, किशोर अवस्था में गर्भधारण से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर ने कहा था कि पिछले तीन वर्षों में राज्य भर में किशोर गर्भधारण के 986 मामले सामने आए हैं. मंत्री के इस जवाब को सुनकर दोनों का गुस्सा बढ़ गया.
Karnataka News: कर्नाटक सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर ने किशोर अवस्था में प्रेग्नेंसी से जुड़े सवाल पर जो जवाब दिया उसे सुनकर विपक्ष के नेता उनके विरोध में उतर आए. एमएलसी और पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री उमाश्री ने कहा कि मंत्री की ओर से प्रस्तुत आंकड़े ठीक नहीं हैं. मैं इन आंकड़ों से हैरान हूं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के पास दर्ज रिकॉर्ड में इससे ज्यादा संख्या है. वहीं, मंत्री के इन दावों को खारिज करते हुए भाजपा की एमएलसी भारती शेट्टी ने सदन को बताया कि हालिया मीडिया रिपोर्टों से असली तस्वीर सामने आई है. उन्होंने कहा कि मंत्री की ओऱ से दिए गए नंबर कुछ जिलों से हो सकते हैं. उन्होंने मंत्री से गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह नहीं करने का अनुरोध भी किया.
प्रेग्नेंसी के पीछे बताई थी ये वजह
हेब्बलकर ने लिखित उत्तर में बताया कि कोलार में किशोर गर्भधारण का कारण ये है कि यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमाओं से जुड़ा हुआ है. यहां अंतर-राज्य विवाह के कारण, किशोर गर्भधारण के मामले बढ़ रहे हैं. मांड्या के लिए उन्होंने बताया कि यहां माता-पिता की लापरवाही के कारण बढ़ते प्रेम संबंध और जोड़े का भाग जाना इस तरह की प्रेग्नेंसी की वजह है.
भारती शेट्टी ने कहा, “विभाग की ओर से दिए गए कारणों को देखें. यह क्या है? माता-पिता कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? आवश्यक जागरूकता उपाय और गंभीर कार्रवाई करने के बजाय, विभाग ऐसे अप्रासंगिक कारण दे रहा है.” वहीं, जेडीएस एमएलसी टीए सरवण ने विभाग के साथ काम करने वाले अधिकारियों की दक्षता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “पूरा नागरिक समाज इस मुद्दे को लेकर चिंतित है, लेकिन मंत्री की ओर से दिया गया जवाब निरर्थक है.” जेडीएस के एक अन्य वरिष्ठ एमएलसी थिप्पेस्वामी ने किशोर गर्भधारण में वृद्धि के लिए माता-पिता को जिम्मेदार ठहराने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, “गडग से भी ऐसे मामले सामने आए हैं. जिला प्रशासन क्या कर रहा है? इसके लिए माता-पिता को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है.”
हेब्बलकर ने अपने लिखित उत्तर का बचाव करते हुए कहा “बेशक मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि यह माता-पिता की लापरवाही के कारण है, लेकिन प्रेम मामलों के कारण इसकी संभावना है.” इसके बाद विरोध कर रहे नेताओं ने मांग की कि स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग 7वीं से 10वीं क्लास के लिए स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.
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