न्यूज़लाइवनाउ – हाल के दिनों में यमन समर्थित हूती समूहों का आतंक लाल और अरब सागर में बढ़ा है. इसका मुंहतोड़ जवाब अमेरिका दे रहा है. हालांकि, अबतक मामला शांत नहीं हो पाया है. जारी झड़प के बीच कई देशों के व्यापार को काफी नुकसान पहुंच रहा है. यही वजह है कि मौजूदा समय में एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले वैकल्पिक मार्ग की मांग काफी बढ़ गई है.
उत्तरी समुद्री मार्ग पर काम कर रहा है
एनएसआर मार्ग से व्यपार करने की एकमात्र समस्या हिमखंड है. ठंड के दिनों में यह एरिया पूरी तरह से जम जाता है. ऐसे में नॉर्मल जहाजों का इस रास्ते से गुजरना बेहद कठिन हो जाता है. वर्तमान समय में कुछ देश अपने समुद्री परिवहन की सुरक्षा के लिए युद्धपोतों को तैनात किए हुए हैं, जो काफी खर्चीले साबित हो रहे हैं. कुछ समय तक के लिए यह प्लान कारगर नजर आता है, लेकिन इसे लंबे समय तक व्यवहार में लाया नहीं जा सकता है.
दुनियाभर में समुद्री मार्गो को लेकर चल रही उठापटक के बीच रणनीतिक मामलों के विश्लेषक रिटायर्ड मेजर जनरल शशि भूषण अस्थाना का बड़ा बयान सामने आया है. उनका कहना है कि भारत, रूस के साथ मिलकर उत्तरी समुद्री मार्ग पर काम कर रहा है. इसके पीछे की वजह है कि भारत यूरोप के साथ इस मार्ग से व्यापार करने की योजना बना रहा है.
एनएसआर मार्ग से व्यपार करने की एकमात्र समस्या हिमखंड है. ठंड के दिनों में यह एरिया पूरी तरह से जम जाता है. ऐसे में नॉर्मल जहाजों का इस रास्ते से गुजरना बेहद कठिन हो जाता है. ऐसी परिस्थिति में इसका हल क्या हो सकता है? यह बड़ा सवाल है. एक्सपर्ट का मानना है कि हिमखंडों को तोड़ते हुए आगे बढ़ने के लिए मजबूत जहाजों की आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे जहाज मौजूदा समय में केवल रूस के पास हैं.
रूस ने ऐसे कई जहाजों का निर्माण किया है, जो परमाणु ऊर्जा से चलते हैं. यही नहीं, रास्ते में आने वाले बड़े से बड़े हिमखंडों को भी वे तोड़ने में माहिर हैं. मौजूदा समय में इन आइस ब्रेकर जहाजों की मांग दुनियाभर के देशों में है.
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