(न्यूज़लाइवनाउ-Uttarakhand) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित धराली गांव के ऊपर खीरगंगा क्षेत्र में मंगलवार दोपहर बाद मूसलधार बारिश के चलते भीषण जलप्रलय आया। इस बाढ़ में अब तक चार लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई है, जबकि तकरीबन 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
धराली में खीरगंगा धारा का जलस्तर पहले भी कई बार तेजी से बढ़ा है, जिससे आसपास के इलाके खासा प्रभावित हुए थे। यहां के जलग्रहण क्षेत्र का दायरा कम है और क्षेत्र की ढलान अत्यंत तीव्र है, इसी वजह से वर्षा का पानी अत्यधिक वेग से नीचे की ओर बहता है। मंगलवार को जैसे ही बादल फटा, भारी मलबा और जलधारा धराली बाजार की ओर बह निकली, जिससे लोगों को संभलने का भी वक्त नहीं मिला।
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब खीरगंगा के उफनते प्रवाह ने स्थानीय इलाकों में तबाही मचाई हो। बावजूद इसके न स्थानीय बाशिंदे सतर्क हुए, न ही सरकारी तंत्र ने ठोस एहतियाती कदम उठाए। वर्ष 2023 में भी इसी जलधारा की उग्रता के कारण गंगोत्री हाईवे कई दिनों तक ठप रहा था।
वहीं, दुकानों व होटलों को भी तब गंभीर नुकसान झेलना पड़ा था। उसके बाद कुछ हद तक सुरक्षा कार्य तो किए गए, परंतु नदी के प्रवाह क्षेत्र को नियंत्रित न कर पाने के चलते आपदा को रोका नहीं जा सका।
इससे पहले, 2017-18 में भी इसी तरह खीरगंगा के जलस्तर में तेज़ी से वृद्धि होने के कारण बाजार, घरों और होटलों में मलबा घुस गया था। तब भौतिक नुकसान तो बहुत हुआ, मगर जनहानि नहीं हुई थी। प्रभावितों को पुनर्स्थापन में लगभग एक वर्ष का समय लग गया था।
मंदिर हुआ लापता
खबरों के मुताबिक, मंगलवार को लगभग दोपहर 1:50 बजे धराली गांव के ऊपर घना बादल फटा, जिससे महज 20 सेकंड में खीरगंगा का प्रचंड प्रवाह मलबे के साथ धराली के मुख्य बाजार में घुस गया। इस आपदा ने दर्जनों होटल, दुकानों और घरों को जमींदोज कर दिया। यहां तक कि ख्यातिप्राप्त कल्प केदार मंदिर भी मलबे की चपेट में आकर नष्ट हो गया।
प्रशासन द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, देर शाम तक कुल 130 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका था। चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 70 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। लगभग 30 मकानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और होटल-लॉज के बह जाने की आशंका है।
तीन स्थानों पर फटे बादल
हर्षिल घाटी में मंगलवार को तीन विभिन्न जगहों पर बादल फटने की घटनाएं हुईं। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन ने एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और पुलिस को त्वरित राहत कार्य के लिए मौके पर रवाना किया। राहतकर्मी घटनास्थल पर डटे हुए हैं और मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने में जुटे हैं।
प्रदेश सरकार ने केंद्र व वायुसेना से दो एमआई हेलिकॉप्टर और एक चिनूक हेलिकॉप्टर की मांग की है। हालांकि मौसम खराब होने के कारण उड़ानों में अड़चनें आ रही हैं। यूकाडा ने भी दो निजी हेलिकॉप्टर standby में रखे हैं, ताकि मौसम खुलते ही राहत सामग्री और लोगों को पहुंचाया जा सके।
नुकसान का सबसे ज्यादा असर व्यापारिक क्षेत्रों पर
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि जलधारा सीधी रिहायशी इलाके की ओर जाती तो जान-माल का और बड़ा नुकसान हो सकता था। लेकिन चूंकि प्रवाह बाजार की तरफ मुड़ा, इसलिए व्यावसायिक ढांचे अधिक प्रभावित हुए। सैलाब पहले एक बार आया, कुछ समय ठहरा, और फिर दोबारा पूरे वेग से आया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रशासन, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव में जुटी हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि प्रभावितों को हरसंभव सहायता और सुरक्षित स्थानों पर तत्काल पहुंचाया जाए। सरकार हालात पर निरंतर नजर बनाए हुए है।
जैसे ही घटना की जानकारी मिली, जिलाधिकारी प्रशांत आर्य और पुलिस अधीक्षक सरिता डोवाल मौके के लिए रवाना हो गए। प्रशासन ने तत्काल हर्षिल में राहत कैंप स्थापित कर दिया है और प्रभावितों की देखभाल शुरू कर दी गई है।
आज भी भारी बारिश की चेतावनी
बुधवार को भी भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। मौसम विभाग ने उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं देहरादून, नैनीताल, चंपावत और पौड़ी में येलो अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी तेज बारिश के दौर की आशंका जताई गई है।
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