JHARKHAND:मुठभेड़ में 209 कोबरा बटालियन के दो जवानों को पैर में गोली लगी

(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ): चाईबासा जिले के गोइलकेरा प्रखंड के कोल्हान जंगल स्थित पाटूंग और बोरोई गांव में शुक्रवार की सुबह सीआरपीएफ की 209 कोबरा बटालियन और झारखंड पुलिस के जवानों की भाकपा माओवादियों के साथ मुठभेड़ हुई. इसमें कोबरा बटालिन के दो जवानों एन बालामुरुगन और एमके तिवारी को पैर में गोली लगी है. हालांकि दोनों खतरे से बाहर बताये जा रहे हैं. एन बालामुरुगन को बेहतर इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से रांची स्थित मेडिका अस्पताल लाया गया है. जबकि एमके तिवारी को इलाज चाईबासा में ही चल रहा है. बताया जा रहा है कि मुठभेड़ माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ रुपये के इनामी मिसिर बेसरा के दस्ते से हुई है. कई नक्सलियों को भी पुलिस की गोली लगने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि पाटूंग व बोरोई गांव में सुरक्षा बल सर्च अभियान चला रहे थे. इसी दौरान नक्सलियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी. फिर जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए नक्सलियों की ओर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इसी क्रम में गोली लगने से एक जवान घायल हो गया. समाचार लिखे जाने तक रुक-रुक कर दोनों ओर से फायरिंग जारी थी. नक्सलियों के खिलाफ 14 अप्रैल से ही पुलिस अभियान चला रही है. बताया जा रहा है कि जिस इलाके में मुठभेड़ चल रही है, फिलवक्त वहां पर मिसिर बेसरा के अलावा एक करोड़ का इनामी सुधाकरण, मोछू, लंबू सहित कई खूंखार नक्सली मौजूद हैं.दो-तीन दिन पूर्व अभियान के दौरान बोराई के जंगल में नक्सलियों का बड़ा कैंप सुरक्षाबलों को मिला था. यहां पर दर्जनों लैंडमाइन सहित विस्फोटक और नक्सली साहित्य आदि बरामद किये गये थे. ग्रामीण सूत्रों के मुताबिक अभी भारी संख्या में नक्सली पाटूंग व बोरोई के इलाके में छिपे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों ने चारों तरफ से घेर रखा है. मुठभेड़ के बाद नक्सली कमजोर होते जा रहे हैं. पुलिस अब नक्सलियों को गिरफ्तार करने या मार गिराने की योजना पर कार्य कर रही है.

एक सप्ताह से जारी मुठभेड़ के कारण नक्सलियों को भोजन व पानी पर आफत हो गयी है. संभावना जतायी जा रही है कि नक्सली जंगल में मिलने वाले तरह-तरह के कंद-मूल, फल, साग, पत्ते खाकर दिन काट रहे हैं. पूर्व में सारंडा में चले ऑपरेशन एनाकोंडा के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बन गयी थी. तब नक्सली नेता समर जी ने प्रभात खबर के एक सवाल के जवाब में कहा था कि हम आदिवासी जंगल में रहते हैं. जंगल की सैकड़ों चीजें, कंद मूल आदि हमारा अहार होता है, जिसकी पहचान सभी साथियों को होती है.ग्रामीण सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार बुधवार की रात लगभग दो दर्जन से अधिक संदिग्ध लोगों को सारंडा के गंगदा गांव क्षेत्र के जंगल से कोल्हान क्षेत्र के जंगल में प्रवेश करते देखा गया है. यह संदिग्ध लोग कौन थे, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. बताया जा रहा है कि अगर वे नक्सली थे तो, बोरोई जंगल में पुलिस से घिरे अपने साथियों को निकालने के लिए पहुंचे हैं. इससे एक चीज स्पष्ट होती है कि नक्सली बुरी तरह से जंगल में पुलिस के चक्रव्यूह में फंस गये हैं.

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