Lok Sabha Election 2024: सोनिया गांधी के खिलाफ बीजेपी उतारेगी ये कैंडिडेट रायबरेली में, कांग्रेस ने यूपी में 10 सीटें जीती

(न्यूज़लाइवनाउ-UP) उत्तर प्रदेश की रायबरेली कहने के लिए एक लोकसभा सीट है लेकिन कांग्रेस के लिए उसके सिर का ताज. ये वो किला है.जो साल 2014 और साल 2019 की आंधी में भी नहीं हिला है.बीते चार लोकसभा चुनाव से सोनिया गांधी यहां से जीतते आ रही है. हर बार उन्‍हें यहां से 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं जो बताने के लिए काफी है.कि यहां जनता ना कांग्रेस के सिवाय सोचती है और ना किसी और की बात करती है.

72 साल के चुनावी इतिहास

चुनाव दर चुनाव कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है. साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में 10 सीटें जीती थी.जो साल 2004 में घटकर 9 पर आ गईं. हालांकि 2009 के चुनाव में 21 सीटें मिली थीं. अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में अगर 3 चुनावों को छोड़ दिया जाए तो ये सीट कांग्रेस के पास ही रही है 72 साल के चुनावी इतिहास में रायबरेली सीट 66 साल तक कांग्रेस के पास रही है.

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लेकिन अब इसी रायबरेली में घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है और आने वाले वक्त में इसका हाल भी अमेठी जैसा हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस सोनिया गांधी के लिए दक्षिण में सेफ सीट तलाशने में जुट गई है. वहीं इस बात की चर्चा है कि सोनिया की जगह प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती है, जो लगातार यहां आती रहीं है.

लेकिन बड़ा सवाल ये है क्या प्रियंका के लिए रायबरेली की राह आसान होगी क्योंकि चुनाव दर चुनाव यूपी में कांग्रेस का ग्राफ गिरता जा रहा है. साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में 10 सीटें जीती थी.जो साल 2004 में घटकर 9 पर आ गई लेकिन साल 2009 में कर्जमाफी और मनरेगा के दम पर कांग्रेस ने यूपी में बड़ा कमबैक किया और यूपी की 21 लोकसभा सीटें जीती.

अदिति सिंह रायबरेली से ही बीजेपी की विधायक है जबकि दिनेश प्रताप सिंह साल 2019 में खुद सोनिया गांधी को चुनौती दे चुके हैं.जो मौजूदा समय में योगी सरकार में मंत्री है, यानी मुश्किल कम नहीं हैं. वहीं एक धड़ा ऐसा है जो मानता है कि कांग्रेस रायबरेली समाजवादी पार्टी की मेहरबानी से जीतती रही है सपा ने कभी यहां उम्मीदवार ही नहीं उतारा और अगर कभी उतारा तो इतना कमजोर जिसकी चर्चा तक नहीं हुई.

ऐसे में कांग्रेस को डर है कि अगर उसका समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हुआ और अगर समाजवादी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत से रायबरेली में चुनाव लड़ा तो उसकी मुश्किल बढ़ जाएगी. वैसे भी अखिलेश यादव के दिल में मध्य प्रदेश वाली खटास अभी बाकी है.

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