(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : नई दिल्ली। पीएनबी घोटाला (PNB Scam) के आरोपी भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी (Mehul Choksi) ने प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश की है. मेहुल चौकसी ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इसके साथ ही उसने भारतीय पासपोर्ट भी सरेंडर कर दिया. चौकसी के इस कदम को प्रत्यर्पण से बचने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. चौकसी पीएनबी घोटाले में वांछित है. चौकसी ने एंटीगुआ (Antigua) में भारतीय उच्चायोग को अपने पासपोर्ट के साथ ही 177 डॉलर का ड्राफ्ट भी सौंपा है. अधिकारियों के मुताबिक उसने अपना नया पता ‘जॉली हार्बर मार्क्स एंटीगुआ’ बताया है. बता दें, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मेहुल चौकसी दो देशों की नागरिकता नहीं रख सकता. मेहुल चौकसी को साल 2018 में एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता दी गई थी और उसने पिछले साल 15 जनवरी को उस देश के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी. बता दें, पिछले साल के अंत में मेहुल चोकसी ने मुंबई की एक कोर्ट से कहा था कि वह 41 घंटे की यात्रा कर भारत नहीं आ सकता. लोन धोखाखड़ी मामले वांछित चोकसी ने बताया कि उसकी खराब सेहत की वजह से वह एंटीगुआ से भारत नहीं आ सकता. कोर्ट में लिखित में दिए गए जवाब में मेहुल चोकसी ने प्रवर्तन निदेशालय पर आरोप लगाया था कि उसकी स्वास्थ्य की जानकारी न देकर कोर्ट को गुमराह किया गया है.
इसके साथ ही उसने कहा था कि वह अपना बकाया चुकाने के लिए बैंकों के संपर्क में है. साथ ही कहा था कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जांच के साथ जुड़ने के लिए तैयार है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट से कहा था कि मेहुल चोकसी को भगोड़ आर्थिक अपरोधी घोषित किया जाए और उसकी संपत्ति जब्त करने के आदेश दिए जाएं. इसे बाद इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चोकसी की कंपनी गीतांजलि समूह की थाईलैंड में स्थित 13 करोड़ रुपए कीमत की एक फैक्टरी को कुर्क कर लिया था. यह कुर्की दो अरब डॉलर के कथित पीएनबी धोखाधड़ी मामले में की गई थी. एजेंसी ने कहा था कि उसने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एब्बेक्रेस्ट (थाईलैंड) लिमिटेड के स्वामित्व वाली फैक्टरी की कुर्की के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया था. यह कंपनी गीताजंलि समूह की एक कंपनी है.