आतंकवाद का केंद्र पाकिस्तान को बोलने पर,विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा और भी कड़े शब्दों का कर सकता था इस्तेमाल

विदेश मंत्री जयशंकर ने पिछले महीने पाकिस्तान के एक रिपोर्टर के आतंकवाद और भारत पाकिस्तान के बीच संबंध को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा था सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने में भूमिका के मद्देनजर पाकिस्तान को ‘आतंक का केंद्र’ करार देने संबंधी अपनी टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह इससे भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे ।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताने के बाद फिर से पाकिस्तान पर करारा वार किया है। एक इंटरव्यू में जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद का एपिसेंटर कहा है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का एपिसेंटर बताना डिप्लोमेटिक जवाब ही है।

जयशंकर ने कहा कि आप एक राजनयिक हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बातों को घुमा फिरा कर कहें। उन्होंने कहा,‘‘ मैं ‘केंद्र’ से अधिक कड़े शब्दों का उपयोग कर सकता था। इसलिये विश्वास करें कि जो कुछ हमारे साथ घट रहा है, उसको देखते हुए केंद्र अधिक राजनयिक शब्द है। ” विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के लिये ‘आतंकवाद का केंद्र’ शब्द के उपयोग पर पूछे गए सवाल के जवाब में यह बात कही।

‘क्या वाकई पाकिस्तान को इसके बारे मे पता नहीं होगा?’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘अगर दिन दहाड़े शहरों में आतंकी अड्डे चल रहे हों, भर्तियां और फंडिंग हो रही हो, तो क्या पाकिस्तान की सरकार को वाकई में इसकी जानकारी नहीं होगी कि क्या हो रहा है? खासतौर पर तब जब आर्मी लेवल की ट्रेनिंग दी जा रही हो। यूरोप दशकों से चल रहे इस खेल की आलोचना क्यों नहीं करता?’ यह पूछे जाने पर कि क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका से परेशान होना चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर परेशान होना चाहिए।’

उन्होंने पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि यह एक ऐसा देश है जिसने कुछ वर्ष पहले भारत की संसद पर हमला किया, जिसने मुम्बई शहर पर हमला किया, जो होटलों और विदेशी पर्यटकों तक गया और जो प्रतिदिन सीमापार से आतंकवादियों को भेजता है।

दो देशों के अपने दौरे के दूसरे चरण में साइप्रस से यहां पहुंचे जयशंकर ने यह भी कहा था कि ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन और चांसलर कार्ल नेहमर सहित इस देश के नेताओं के साथ उनकी व्यापक बातचीत ‘‘हमारे संबंधों के साथ मौजूदा वैश्विक मुद्दों पर’’ ऑस्ट्रिया के दृष्टिकोण को समझने में बहुत मूल्यवान है।

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