ड्रैगन को क्यों लगा यूएस से डर,चीन के राष्ट्रपति ने अमेरिका का नाम लेकर बोला हमला

चीन को अमेरिका से ऐसा क्या खतरा सता रहा है। जो चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि 'अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश हमें चारों तरफ से घेरने और दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे चीन के विकास के सामने अभूतपूर्व चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।'

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): चीन को अमेरिका से ऐसा क्या खतरा सता रहा है। जो चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि ‘अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश हमें चारों तरफ से घेरने और दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे चीन के विकास के सामने अभूतपूर्व चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।’ इसका मतलब क्या अमेरिका चीन पर नियंत्रण करना चाह रहा है, अगर नहीं तो चीन ने यह बयान किस लिए दिया है?…यह सब जानने के लिए आपको मामले के तह तक जाना होगा। बीते दिनों जासूसी गुब्बारे के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के रिश्तों में तनाव का माहौल है। दोनों देशों के बीच का यह तनाव अब दुश्मनी की तरफ बढ़ता दिख रहा है। दरअसल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने एक भाषण में अमेरिका का नाम लेकर उसकी आलोचना की। चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि ‘अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश हमें चारों तरफ से घेरने और दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे चीन के विकास के सामने अभूतपूर्व चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।’

चीन और अमेरिका के बीच मुख्य लड़ाई प्रभुत्व की है। चीन खुद को अमेरिका से ऊपर उठाना चाहता है और अमेरिका चीन की दादागीरी को रोकना चाहता है। इसलिए दोनों देशों के बीच विवाद की फेहरिश्त लंबी है। फिलहाल प्रमुख विवादों में ताइवान और चीन का विवाद, साउथ चाइन सी में चीन की दादागीरी, साउथ-ईस्ट एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव, चीन की जासूसी की आदतें, यूक्रेन युद्ध मामले में रूस को हथियार भेजना, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अमेरिका के खिलाफ खड़े होना इत्यादि विवादों के प्रमुख कारण हैं। ताजा विवादों में ताइवान का तनाव, यूक्रेन युद्ध और जासूसी मामला है। ताइवान पर अमेरिकी हस्तक्षेप का बदला लेने के लिए चीन पूरी तरह से रूस के साथ खड़ा हो गया है। चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने मंगलवार को रूस के साथ करीबी संबंधों का संकेत दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन को नियंत्रित करने के अमेरिकी प्रयास कभी सफल नहीं हो पाएंगे। चीन की संसद के सत्र के इतर यहां अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में किन ने कहा कि चीन अपने मूल हितों की रक्षा करेगा और आधिपत्य, गुट की राजनीति और एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करेगा। किन ने कहा कि चीन और रूस ‘‘अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए अच्छा उदाहरण पेश कर रहे हैं’’ और उनके करीबी द्विपक्षीय संबंधों को ‘‘शीत युद्ध के नजरिये’’ से देखना गलत है।

अपने भाषण में शी जिनपिंग ने देश के निजी क्षेत्र से आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया क्योंकि चीन में निजी क्षेत्र ही विकास का मुख्य इंजन है। साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार भी निजी क्षेत्र में मिलते हैं। साथ ही उन्होंने देश के कारोबारी जगत से भी जिम्मेदारी, ईमानदारी और सहानुभूति के साथ काम करने की अपील की और कहा कि वह चाहते हैं कि सभी लोग समृद्ध हो। बता दें कि चीन पर आरोप लगते रहते हैं कि वहां उच्च वर्ग के लोगों को ही देश के आर्थिक विकास का फायदा मिलता है। शी जिनपिंग ने आगाह किया कि आने वाले दिनों में उनकी चुनौतियां और खतरे और ज्यादा बढ़ सकते हैं।

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