अचानक रद्द हो गया दलितों का भारत बंद

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : दलित समर्थकों द्वारा गुरुवार को भारत बंद बुलाया गया था लेकिन इसके ठीक एक दिन पहले इसे टाल दिया गया. कुछ समूहों का कहना है कि लोकसभा में एससी/एसटी अत्याचार निरोधक बिल पास कराने की उनकी प्राथमिक मांग पूरी हो चुकी है, इसलिए गुरुवार के बंद को रद्द कर दिया गया. हालांकि अचानक लिए गए इस निर्णय से पूरे देश से जमा हुए दलित कार्यकर्ताओं में संदेह पैदा हो गया है.उत्तर प्रदेश के दलित संगठन भीम आर्मी के नेता विजय जाटव ने कहा, “हम जानते हैं कि यह एक धोखाधड़ी है और यह किसी भी मामले में नहीं होनी चाहिए. बुलाई गई हड़ताल दलित वोट हासिल करने के लिए आरएसएस की साजिश के अलावा और कुछ नहीं थी.”राष्ट्रव्यापी आंदोलन के स्थगित होने के बावजूद तेलंगाना स्थित दलित संगठन ‘महादीका आरक्षण समिति’ ने गुरुवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में भाग लेने वालों  से बात करते हुए भीम आर्मी की तरह ही बयान दिए.विरोध दर्ज करने पहुंचे एक दलित कार्यकर्ता ने अपनी पहचान प्रकट किए बिना कहा, “यहां नेतृत्व की परेशानी है. नेताओं के बीच स्पष्ट रुप से मनमुटाव है. हम यहां अखिल भारतीय बंद के लिए एकत्रित हुए थे, जो रद्द हो गया है. संगठन में मेरे सहयोगी भी इस बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं कि अचानक यह निर्णय कैसे ले लिया गया.”तेलंगाना के दलित कार्यकर्ता राजू ने भी भारत बंद रद्द होने पर असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “हमने पूरे देश की यात्रा की. हम रेलवे स्टेशन, जंतर मंतर और अम्बेडकर भवन में सोए. लेकिन हमें लड़ना है. हम नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा? मैं यहां अपने लिए आया हूं.”गुमनाम रहने की शर्त पर तमिलनाडु के एक कार्यकर्ता ने कहा कि वह रहने के लिए एक जगह ढूंढ रहा था लेकिन वह अपना समर्थन देने के लिए यहां आया. वास्तव में यहां ऐसा कोई बंद नहीं है लेकिन फिर भी हम विरोध कर रहे हैं, अगर सभी ने नहीं तो कुछ नेताओं ने हमारी आवाज सुनी है.’अखिल भारतीय अम्बेडकर महासभा (एआईएएम) के बैनर तले अशोक भारती के नेतृत्व में दलित समूहों को बंद के लिए बुलाया गया था जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया. न्यूज18 से बात करते हुए एआईएएम के चेयरमैन भारत ने कहा, “अपनी मांग को पूरी करने के लिए हम सरकार को अधिक समय दे रहे हैं. अगर केंद्र हमारी मांगों को पूरा नहीं करता है, हम वापस सड़कों पर उतरेंगे.”अशोक भारती ने समुदाय में किसी भी तरह के मनमुटाव होने से इनकार किया और कहा कि बंद वापस लेने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था. इसके साथ ही भारती ने कहा कि कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए बंद स्थगित करने का निर्णय लिया गया था. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के समापन दिवस पर वे कांवड़ियों की समस्या का कारण नहीं बनना चाहते थे.बता दें कि सोमवार को लोकसभा ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए संसोधन विधेयक पारित किया था. इसी दिन संसद द्वारा पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा देने वाला 123वां संविधान संशोधन विधेयक भी पारित किया गया था.

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