अपने पति को रिझाने के लिए कैसे सजे करवाचौथ पर
जैसे-जैसे सुहागिनों का दिन पावन करवाचौथ का त्योहार नजदीक आ रहा है, महिलाएं जोश और उत्साह के साथ इसकी तैयारी में जुट गई हैं
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : जैसे-जैसे सुहागिनों का दिन पावन करवाचौथ का त्योहार नजदीक आ रहा है। महिलाएं जोश और उत्साह के साथ इसकी तैयारी में जुट गई हैं। इन दिनों ब्यूटी पार्लरों में खूब रौनक है। अधिकांश ब्यूटी पॉर्लर बुक हो गए हैं। महिलाएं सजने संवरने के लिए खूब खर्च कर रही हैं। व्रत वाले दिन पॉर्लर में समय ज्यादा न लगे इसके लिए एडवास बुकिंग करा रही हैं। पार्लर संचालक भी इस मौके को भुनाने में जुट गए हैं।
करवाचौथ का त्योहार मेहंदी के बिना अधूरा है। इस बार महिलाओं के लिए मेहंदी की विभिन्न स्टाइल मौजूद हैं। इनमें स्टाप वाली मेहंदी सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है। इसके अलावा कलरफुल मेहंदी, स्पार्कल या ग्लिटरी मेहंदी भी काफी पसंद की जा रही है।
फेशियल की खूब डिमांड
ब्यूटीशियन अंकिता मित्रा ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी बाजार में खासे ऑफर हैं। महिलाएं एडवांस में खूब बुकिंग करा रही हैं। फेशियल की इस समय खूब डिमांड है। पैकेज पर 10 से 25 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है।
करवाचौथ पर ब्यूटी पार्लर के स्पेशल रेट
- हेयर स्पा 600 से 3000 रुपये
- हेयर कट 250 से 1000 रुपये
- हेयर ग्लोबल प्लस हाईलाइट 1000 से 5000 रुपये
- मेक अप 500 से 3000 रुपये
- मेनीक्योर 400 से 1200 रुपये
- पेडीक्योर 400 से 1500 रुपये
- फेशियल 800 से 4000 रुपये
- नेल आर्ट बेसिक 100 रुपये
- फ्रेंच नेल आर्ट 250 रुपये
- वैक्स 200 से 5000 रुपये
- ब्लीच 200 रुपये से शुरू
साड़ियों और ज्वेलरी की खूब की शॉपिंग
साल में एक बार सुहागिनों का दिन आता है। इसे पूरी खुशी और धूमधाम से मनाने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली है। ब्यूटी पार्लर जाने के साथ ही साड़ियों और ज्वेलरी की भी खूब खरीदारी की है। – दिविशा महरोत्रा, बड़ा बाजार
शादी के 32 साल बाद भी नवेली दुल्हन की तरह संवरने का होता है मन
शादी को 32 साल हो गए हैं, लेकिन करवाचौथ के त्योहार का क्रेज कम नहीं हुआ। इस त्योहार का नाम जुबां पर आते ही नई नवेली दुल्हन के जैसे सजने-संवरने का मन होता है। – बेबी खंडेलवाल, बड़ा बाजार
बहुओं के साथ मिलकर सहेज रही परंपरा
शादी को 25 साल हो गए हैं। अब बहुओं के साथ मिलकर करवाचौथ मनाने का अपना ही अलग मजा है। यही हमारी संस्कृति है कि सदियों पुरानी परंपराएं भी हम लोग खूब सहेजे हुए हैं। – दिपा अग्रवाल, राजेंद्र नगर