अब दिन में सस्ती, रात में महंगी और प्रीपेड होगी बिजली।
नई नीति में इस बात का इंतजाम किया गया है कि अगर प्राकृतिक कारणों या किसी तकनीकी वजह के अलावा लोड शैडिंग होता है और बिजली जाती है तो बिजली वितरण कंपनियों को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। इतना ही नहीं कंपनियों को हर्जाना सीधे ग्राहकों के खातों में भेजना पड़ेगा।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अब आपको दिन में अलग अलग समय के लिए बिजली की अलग अलग कीमत देनी पड़ेगी। मोदी सरकार ने देश में बिजली के अलग अलग आयामों पर नयी टैरिफ़ नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। मसौदे के प्रस्ताव के मुताबिक़ अब दिन में जहां ग्राहकों को काफ़ी सस्ती बिजली मिलेगी वहीं रात यानि पीक आवर में बिजली की क़ीमत थोड़ी महंगी हो जाएगी। नई नीति में लोड शेडिंग के चलते बिजली जाने की हालत में वितरण कंपनियों पर ज़ुर्माना लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है। नई नीति को अगले कुछ दिनों में कैबिनेट से मंज़ूरी मिलने की संभावना है। हर गांव और हर घर तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य के बाद मोदी सरकार अब देश में बिजली सेक्टर में आमूल चूल बदलाव की तैयारी कर रही है। सरकार का दावा है कि अब तक की नीतियों का फोकस जहां बिजली कंपनियों और बिजली वितरण कंपनियों तक होता था वही नई प्रस्तावित नीति का फोकस आम ग्राहक पर होगा। इस नीति में कई ऐसे बिंदु जोड़े गए हैं जिनसे ग्राहकों को फायदा होने वाला है। सरकार का आकलन है कि अगले 3-4 सालों में नीति का असर पूरी तरह दिखने लगेगा और लोगों को 24*7 बिजली मिल पाएगी। दिन में जहां ग्राहकों को काफी सस्ती बिजली मिलेगी वही रात में थोड़ी महंगी बिजली मिलेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर एक ग्राहक दिन और रात दोनों में एक समान बिजली का उपयोग करता है तो उसका बिजली बिल दिन और रात में अलग अलग आएगा। सरकार की योजना है कि दिन में सभी राज्यों के वितरण कंपनियों को सौर ऊर्जा से पैदा हुई बिजली मुहैया कराई जाए जो काफी सस्ती होती हैं। नीति के मुताबिक राज्य बिजली वितरण कंपनियों को सौर ऊर्जा से पैदा हुई बिजली खरीदना अनिवार्य होगा। बिजली मंत्री आरके सिंह का अनुमान है कि आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली की क्षमता बढ़कर करीब सवा लाख मेगावाट हो जाएगी जो दिन में सस्ती दरों पर ग्राहकों को बिजली देने के लिए पर्याप्त होगा। नई नीति में इस बात का इंतजाम किया गया है कि अगर प्राकृतिक कारणों या किसी तकनीकी वजह के अलावा लोड शैडिंग होता है और बिजली जाती है तो बिजली वितरण कंपनियों को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। इतना ही नहीं कंपनियों को हर्जाना सीधे ग्राहकों के खातों में भेजना पड़ेगा। तीन साल के भीतर देशभर के ग्राहकों के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिया जाएगा। प्रीपेड मीटर प्रीपेड मोबाइल की तरह काम करेगा। मतलब जितना पैसा उसमें भरवाएंगे बिजली उतने दिन मिलती रहेगी। स्मार्ट मीटर से ग्राहकों को पता चलता रहेगा कि अभी मीटर में कितना पैसा बचा है। इसके अलावा ऐसी भी व्यवस्था होगी कि अगर कोई ट्रांसफॉर्मर या मीटर खराब होता है तो शिकायत मिलने के बाद उसे तय समयसीमा में ठीक किया जाए वरना जुर्माना लगेगा। वैसे एक सवाल यह उठता है कि जब बिजली वितरण का अधिकार राज्य की वितरण कंपनियों के हाथ में है तो फिर केंद्र सरकार इन कठोर नियमों को कैसे लागू करवा पाएगी । लेकिन मोदी सरकार के मुताबिक इसका भी इंतजाम किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि इलेक्ट्रिसिटी कानून में ही इस बात का प्रावधान है कि केंद्र का कानून लागू होगा। हालांकि राज्यों से भी लगातार बातचीत चली है और सभी राज्य सरकारें इसके लिए तैयार हैं। राज्य बिजली वितरण कम्पनियां हमेशा अपनी ख़राब माली हालत का रोना रोती रहती हैं जिसका असर बिजली की बाधित आपूर्ति पर भी पड़ता है। इन कंपनियों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए मोदी सरकार पहले ” उदय योजना ” लेकर आयी थी। इस स्कीम से वितरण कंपनियों का घाटा 20 फीसदी से घटकर 18 फ़ीसदी तो हुआ लेकिन सरकार का इरादा इसे और कम करने का है। ऐसे में सरकार अब ” उदय – 2 योजना ” की तैयारी कर रही है। इतना ही नहीं। अगर कोई राज्य सरकार राजनीतिक कारणों से सस्ती बिज़ली देने का ऐलान करती है तो उसे सब्सिडी वितरण कंपनियों को न देकर सीधे ग्राहकों के खातों में भेजना होगा ताकि कंपनियों को घाटा न हो। वितरण कंपनियों की दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए ये भी तय किया गया है कि ये कंपनियां बिजली उत्पादन करने वाली इकाइयों से तभी बिजली ख़रीद सकेंगी जब उनके पास बैंक का लेटर ऑफ क्रेडिट हो और उनका कोई बक़ाया न हो। देश में फिलहाल क़रीब 3 लाख मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता है लेकिन मांग को देखते हुए केवल 1।5 लाख मेगावॉट ही उत्पादन होता है।