(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : संसद में मॉनसून सत्र के पहले दिन मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा एवं वोटिंग के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है. टीडीपी द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस सहित ज्यादातर विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है. हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे लेकर ज्यादा आशंकित नहीं है. उसके बेपरवाह होने के पीछे लोकसभा में सीटों का वो गणित है जिसमें उसे विपक्ष की तुलना में बहुमत हासिल है. बुधवार को संसद का सत्र शुरू होने पर लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सुमित्रा महाजन ने 50 से ज्यादा सांसदों के समर्थन की गिनती की. इसके बाद उन्होंने व्यवस्था दी कि अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा और वोटिंग होगी. अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की तारीख मुकर्रर होने के साथ ही सबकी नजर उन पार्टियों पर है जो एनडीए में होते हुए भी सरकार को आंख दिखाती रही हैं. हालांकि शिवसेना ने कहा कि वो सरकार के साथ है. मोदी सरकार के चार साल से ज्यादा के कार्यकाल में पहली बार आए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्ष के तेवर सख्त हैं. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से जब पूछा गया कि क्या आपके पास पर्याप्त नंबर हैं तो उनका जवाब था कि कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं हैं? अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के लिए अग्निपरीक्षा की तरह हैं. लोकसभा में फिलहाल बीजेपी के पास अकेले 273 सांसद हैं. जबकि बहुमत के लिए उसे 272 सांसदों का आंकड़ा चाहिए. ऐसे में बीजेपी के पास बहुमत से एक सदस्य ज्यादा है. लेकिन मौजूदा समय में बीजेपी के कई सांसद बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. इनमें शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद और सावित्री बाई फूले शामिल हैं. 545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं. यानी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए महज 268 सांसद चाहिए होंगे. बीजेपी के अभी 273 सदस्य हैं. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों शिवसेना के 18, एलजेपी के 6, अकाली दल के 4 और अन्य के 9 सदस्य हैं. इस तरह से कुल संख्या 310 पहुंच रही है. ऐसे में बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव को गिराने और सरकार को बचाने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली. हालांकि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब बीजेपी बड़ी तादाद में अपने मौजूदा सांसदों के टिकट काटने की तैयारी कर रही है. ऐसे सांसद जिन्हें अपना टिकट कटने की पूरा भरोसा है. उनके रुख को लेकर सत्ता पक्ष में शंका हो सकती है. हालांकि पार्टी की ओर से इस बारे में व्हिप जारी कर दिया गया है.