(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह (62) गुरुवार को राज्यसभा के उपसभापति चुन लिए गए। जदयू सांसद हरिवंश के समर्थन में 125 और कांग्रेस सांसद व विपक्षी उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद के समर्थन में 105 वोट डाले गए। एनडीए के पास 88 राज्यसभा सदस्य थे। उसने 36 और सांसदों का समर्थन जुटाने का दावा किया था। इस तरह एनडीए को कुल 124 वोटों की उम्मीद से एक वोट ज्यादा मिला। वहीं, यूपीए के पास 47 राज्यसभा सदस्य थे। उसे 62 और सांसदों के समर्थन के साथ कुल 109 की संख्या जुटा लेने का भरोसा था। लेकिन उसके उम्मीदवार को चार वोट कम मिले। हरिवंश की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन पर अब ‘हरि-कृपा’ बनी रहेगी।
इस चुनाव में 230 सांसदों ने वोटिंग की। इस तरह जीत के लिए 116 वोट जरूरी थे। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने पहले ध्वनि मत से निर्वाचन कराने की कोशिश की। लेकिन जब आम सहमति नहीं दिखी तो उन्होंने वोटिंग कराई। वोटिंग भी दो बार हुई। पहली बार की वोटिंग में तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद दूसरी बार वोटिंग कराई गई। अन्नाद्रमुक के 13 और बीजद के नौ सदस्यों का समर्थन मिलने से हरिवंश का दावा मजबूत हो गया था। नतीजों के एेलान के बाद सदन के नेता अरुण जेटली और विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद हरिवंश को उनके बैठने के नए स्थान तक लेकर गए। राज्यसभा के उपसभापति की सीट विपक्ष के नेता के पास रखी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘हरिवंशजी ने चार दशक पत्रकारिता की। एक बार नक्सली एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को उठा ले गए थे। हरिवंशजी अपने अखबार के सूत्रों की मदद से नक्सली बेल्ट में चले गए। आखिर वे उन्हें समझा-बुझाकर छुड़ा लाए। इस सदन का हाल यह है कि यहां खिलाड़ियों से ज्यादा अंपायर परेशान होते हैं। लेकिन हरिवंशजी सदन को संभालने का काम जरूर पूरा करेंगे। मुझे विश्वास है कि अब सदन का मंत्र बन जाएगा ‘हरि-कृपा’। अब सभी हरि भरोसे। हम सभी सांसदों पर हरि-कृपा बनी रहेगी। यह ऐसा चुनाव था जिसमें दोनों तरफ हरि थे। दशरथ मांझी की जो कथा हम सुनते हैं, वो खुद हरिवंशजी ने खोजी थी। इसका मतलब हरिवंशजी खुद समाज के निचले स्तर तक काफी जुड़े थे।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हमारे लिए खुशी की बात है कि स्वास्थ्य लाभ के बाद हमारे अरुणजी भी हमारे साथ हैं। आज 9 अगस्त है। अगस्त क्रांति आजादी से जुड़ा बहुत बड़ा दिन है। इसमें बलिया का बहुत बड़ा योगदान था। बलिया के लोग जीवन न्योछावर करने में बहुत आगे रहे। मंगल पांडे हों, चित्तु पांडे हों या चंद्रशेखरजी हों। हरिवंशजी उस कलम के धनी हैं। मेरे लिए खुशी की बात यह भी है कि उनकी शिक्षा-दीक्षा बनारस में हुई। उन्हें रिजर्व बैंक ने भी पसंद किया था, लेकिन उन्होंने रिजर्व बैंक को पसंद नहीं किया। हालांकि, घर की परिस्थिति के चलते उन्होंने एक नेशनलाइज्ड बैंक में काम किया। उन्होंने एक ट्रेनी पत्रकार के तौर पर धर्मवीर भारती के साथ काम किया। चंद्रशेखरजी के साथ काम किया। चंद्रशेखरजी के साथ वे उस पद पर थे, जहां उन्हें सब जानकारी थी। चंद्रशेखरजी के इस्तीफे की उन्हें जानकारी थी, लेकिन अपने अखबार को उन्होंने इसकी भनक तक नहीं लगने दी थी।’’विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं लीडर ऑफ हाउस अरुण जेटली को स्वस्थ होने पर बधाई देता हूं। मुझे आशा है कि आज तो वोटिंग के लिए आए हैं, लेकिन उन्हें कुछ और दिन आराम करना चाहिए। मैं हरिवंशजी को अपनी पार्टी की तरफ से बधाई देना चाहता हूं। लोकतंत्र में चुनाव होते रहते हैं, लेकिन जो कॉन्स्टीट्यूशनल पद पर चुनकर आते हैं, वे किसी पार्टी के नहीं, देश के होते हैं। चुनने तक उन्हें कुछ दलों का समर्थन था, लेकिन चुने जाने के बाद वे हम सभी के डिप्टी चेयरमैन हैं। मुझे लगता है कि डिप्टी चेयरमैन का झुकाव विपक्ष की तरफ ज्यादा होना चाहिए। जो सत्ता में हैं, उन्हें पहले से ही प्रिविलेज प्राप्त होते हैं। इसलिए लेफ्ट और सेंटर लेफ्ट को मजबूत करने पर जोर दें। आपने चंद्रशेखरजी के साथ भी काम किया है। वो अनुभव भी हमारे काफी काम आएगा।’’