(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : नई दिल्ली। गुजरात के कच्छ जिले में दो महीनों की खुदाई के बाद पुरातत्वविदों को हड़प्पा सभ्यता से जुड़ा एक विशाल कब्रिस्तान मिला है। धौलावीरा से लगभग 360 किलोमीटर दूर इस स्थान पर 250 से ज्यादा कब्रें हैं जो लगभग 5 हजार साल पुरानी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे इस संभावना को बल मिलता है कि किसी समय में यहां मनुष्यों की अच्छी-खासी आबादी निवास करती थी। कच्छ जिले के लखपत तालुका के खाटिया गांव में यह खुदाई कच्छ यूनिवर्सिटी और केरल यूनिवर्सिटी ने मिलकर की है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि यहां मिली 250 से ज्यादा कब्रें 4,600-5,200 साल पुरानी हैं। यह कब्रिस्तान 300मीटर x 300मीटर आकार का है। इनमें से अभी तक 26 कब्रों की खुदाई हो चुकी है। इनमे सबसे बड़ी कब्र 6.9 मीटर की, जबकि सबसे छोटी 1.2 मीटर की है। पुरातत्वविदों को यहां एक कब्र से छह फुट लंबा एक मानव कंकाल मिला है, यह लगभग 5 हजार साल पुराना है। कच्छ यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग के प्रमुख सुरेश भंडारी ने बताया, ‘इस कंकाल को केरल यूनिवर्सिटी ले जाया गया है। यहां उसकी उम्र, लिंग और मृत्यु के संभावित कारणों का पता लगाया जाएगा।’ पहली बार गुजरात में आयताकार कब्रिस्तान मिला है। इससे पहले मिलने वाले कब्रिस्तान गोलाकार या अर्द्धगोलाकार आकार के थे। इन कब्रों में मानव कंकाल के अतिरिक्त बच्चों की कब्रें और जानवरों के अवशेष मिले हैं। खुदाई में सीपी के बने कंगन, पत्थर की चक्कियां, पत्थर के ब्लेड भी मिले हैं। कब्रों में मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं, एक कब्र में अधिकतम 19 और कम से कम 3 बर्तन शव के पैरों के पास रखे थे। पुरातत्वविदों का कहना है कि ऐसे बर्तन पाकिस्तान के आमरी, नाल और कोट से भी बरामद हुए हैं। भारत में उत्तरी गुजरात में ये नागवाडा, छतराद सहेली, मोटी पीपली और कच्छ में सुरकोतड़ा और धानेती से मिले हैं। सुरेश भंडारी का कहना था, ‘खुदाई में मिले मिट्टी के बर्तनों, पत्थरों के ढेर और दूसरी चीजों के भूरासायनिक परीक्षण से हमें पता चलेगा कि इन्हें उस समय के लोगों ने किस तकनीक से बनाया, इन्हें बनाने में कौन से कच्चे माल का इस्तेमाल किया गया था। तमाम प्रयोगशालाओं में जांच के बाद हमें खाटिया के पास रहने वाले प्रारंभिक हड़प्पा युग के निवासियों के इतिहास की जानकारी मिलेगी।’