सीडी कांड में गिरफ्तार किये गए पत्रकार विनोद वर्मा की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी. दो दिन पहले विनोद वर्मा के वकीलों ने कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी, लेकिन पुलिस की ओर से केस डायरी पेश नहीं की गई, नतीजतन सुनवाई टल गई. कोर्ट ने सोमवार को पुलिस डायरी पेश करने की हिदायत दी.
पत्रकार विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ पुलिस ने 27 अक्टूबर को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था. वहां की कोर्ट ने उन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर छत्तीसगढ़ पुलिस को सौपा था. इसके बाद रायपुर की जिला कोर्ट ने पुलिस रिमांड की अवधि तीन दिन के लिए और बढ़ा दी. 31 अक्टूबर को उन्हें 13 दिनों के लिए ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल दाखिल करा दिया गया.
वर्मा की ओर से पेश जमानत आवेदन में कहा गया है कि उनके पास से ना तो कोई सीडी बरामद हुई है और ना ही कोई आपत्तिजनक वस्तु मिली है. छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया है. इस आवेदन में यह भी कहा गया है कि उनके पास से एक पे नड्राइव और एक लैपटॉप ही मिला है.
उधर सीडी कांड में मामले को संगीन बनाने के लिए पुलिस एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. कोर्ट में पत्रकार विनोद वर्मा के खिलाफ दायर प्रकरण कमजोर ना पड़ जाए इसके लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ छापे जारी रखे हैं. भिलाई और दुर्ग के कई व्यापारियों और कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ताओं से पुलिस की पूछताछ जारी है.
बता दें कि राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. दूसरी ओर पुलिस ताबड़तोड़ कार्यवाही कर कई लोगो को हिरासत में लेकर उन्हें आरोपित भी कर रही है.
ये वो लोग हैं जिनका कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और पत्रकार विनोद वर्मा से करीबी नाता रहा है. विनोद वर्मा के मोबाइल पर लगातार संपर्क में रहने वाले दर्जन भर लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही है. दुर्ग के मेयर देवेंद्र यादव समेत कुछ कारोबारियों से भी इस मामले में पूछताछ की गई है.
अभी तक छत्तीसगढ़ पुलिस यह नहीं बता सकी है कि डर्टी सीडी कांड में ब्लैकमेलिंग और साजिश में विनोद वर्मा किस तरह से शामिल हैं. यह तथ्य अभी तक पुलिस स्थापित नहीं कर पाई है. यही नहीं यह सीडी किसने और कब बनाई यह भी साफ नहीं हो पाया है. सीडी बनाने का आखिर मकसद क्या था, इसे लेकर भी पुलिस की माथापच्ची जारी है.
कांग्रेस समेत कई लोगों को पुलिस की कार्यवाही पूरी तरह से संदेहास्पद नजर आ रही है. आनन फानन में सरकारी विमान से पुलिस का दिल्ली जाना, फिर रातोंरात पत्रकार विनोद वर्मा को दबोच लेना. सीडी वायरल होने के चंद घंटों के भीतर मंत्री राजेश मूणत का सीडी के फर्जी होने का दावा करना भी किसी साजिश से कम नजर नहीं आ रहा है.
रायपुर के पुलिस अधीक्षक संजीव शुक्ला और आईजी प्रदीप गुप्ता यह कह चुके हैं कि रायपुर के पंडरी थाने में दर्ज एफआईआर में ना तो पत्रकार विनोद वर्मा का नाम है और ना ही यह कहा गया है कि डर्टी सीडी मंत्री राजेश मूणत की है. और ना ही दोनों ही अफसरों और पुलिस स्टाफ ने अश्लील सीडी देखी है.
ऐसे में कैसे पुलिस की टीम विशेष विमान से दिल्ली पहुंच गई. कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब दोनों ही अफसर नहीं दे पाए. आमतौर पर एफआईआर दर्ज होने के कई दिनों बाद भी राज्य की पुलिस आरोपियों की सुध तक नहीं लेती. ऐसे में रायपुर पुलिस भी जांच के घेरे में है.
आखिर सीबीआई क्या करेगी इस बात को लेकर भी भ्रम की स्थिति है. दरअसल अपराध की पूरी विवेचना एक एसआईटी कर रही है. ऐसे में सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश क्योंकि यह सवालों के घेरे में है.
आमतौर पर प्रकरण सीबीआई को सिफारिश किये जाने के बाद पारदर्शिता बरतते हुए सम्बंधित राज्य की पुलिस अपनी तफ्तीश को किसी तथ्य विशेष में ला कर विराम दे देती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल से भी अब तक क्यों पूछतांछ नहीं हुई, जबकि वो शहर में है और उनके खिलाफ इस डर्टी सीडी कांड की सीडी वितरित करने का आरोप लगा कर रायपुर के सिविल लाइन थाने में आईटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है. कई ऐसे तथ्य है जिससे लगता है कि पुलिस की कार्यवाही लीक से हटकर हो रही है. ऐसे में सीबीआई आखिर क्या जांच करेगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा.
छत्तीसगढ़ पुलिस विशेष रूचि लेकर सीडी कांड के तमाम तथ्यों को इकठ्ठा कर रही है. मूल शिकायतकर्ता प्रकाश बजाज मीडिया से नजर बचाते चहलकदमी कर रहे हैं. पुलिस से लेकर बीजेपी से प्रभावित सरकारी अमला और उसके अफसर एक और सीडी जारी कर यह प्रचारित कर रहे है कि असली सीडी ये है और मंत्री वाली सीडी नकली है.
इसका मकसद क्या है. छत्तीसगढ़ पुलिस की विशेष रूचि से साफ नजर आ रहा है कि सीबीआई जांच को भी भटकाने की कोशिश तो नहीं हो रही है. फिलहाल पत्रकार विनोद वर्मा की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस क्या तथ्य रखेगी, इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.