तालिबान के साथ शांति समझौते के बाद अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान के मामलों में दखल नहीं देंगे: ट्रम्प
तालिबान के साथ शांति समझौते के बाद अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में किसी प्रकार का दखल नहीं देंगे।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को फिर अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही। उन्होंने हालांकि इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई है। ट्रंप ने यह भी साफ किया है कि तालिबान के साथ शांति समझौते के बाद अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में किसी प्रकार का दखल नहीं देंगे। तालिबान के साथ नौ दौर की वार्ता के बाद ट्रंप ने पिछले साल सितंबर में एक आत्मघाती हमले में अमेरिकी सैनिक की मौत के बाद बातचीत रोक दी थी। लेकिन नवंबर में उन्होंने फिर वार्ता शुरू करने की घोषणा की थी। अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, अफगानिस्तान में हमारे सैनिकों के प्रयासों से क्षेत्र में हमारी स्थिति मजबूत है। तालिबान के साथ शांति वार्ता चल रही है। हमारे सैनिक सबसे अच्छे हैं। वे या तो जीतने के लिए लड़ते हैं या फिर बिल्कुल नहीं लड़ना चाहते। हम अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। हम अपने सैनिकों को वापस लाना चाहते हैं। अफगानिस्तान में अभी अमेरिका के करीब 14 हजार सैनिक हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने पश्चिम एशिया में चल रहे युद्ध को भी समाप्त करने की बात कही। उन्होंने कहा, तीन साल पहले आइएस का इराक और सीरिया के करीब 52 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा था। लेकिन आज आइएस सरगना बगदादी मारा जा चुका है। हमारी सरकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही कट्टर इस्लामिक आतंकवाद का भी डटकर मुकाबला कर रही है। वहीं, दूसरी ओर ईरान से बढ़े तनाव के बीच अमेरिका ने अपने परमाणु जखीरे में एक नया हथियार शामिल किया है। कम क्षमता वाले डब्ल्यू 76-2 नामक परमाणु बम को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के साथ पनडुब्बियों पर तैनात किया गया है। अमेरिका के सामरिक परमाणु जखीरे में पिछले कई दशकों में शामिल किया गया यह पहला हथियार है। इसे दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में घातक हथियारों पर निर्भरता कम करने की ओबामा प्रशासन की नीति की विदाई माना जा रहा है।