सरकार ने विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को संरक्षण देने वाला बहुप्रतीक्षित तीन तलाक विधेयक कई प्रमुख दलों के सदस्यों के विरोध के बीच आज लोकसभा में पेश कर दिया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण ) विधेयक 2017 सदन में पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक अवसर बताया और कहा कि यह विधेयक संविधान की भावनाओं के अनुरूप है। विवाहित मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के लिए विधेयक को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी तीन तलाक को गैरकानूनी बताया है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे व्यवहार को देखते हुए सदन का खामोश रहना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करने और तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रावधान है। इससे इन महिलाओं का सशक्तीकरण होगा और उनके बुनियादी अधिकारों की कानून तौर पर रक्षा की जा सकेगी। बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, एआईएमआईएम तथा मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि इसके प्रावधानों के बारे में मुस्लिम प्रतिनिधियों से बात नहीं की गई है।
कांग्रेस तथा वाम दलों ने विधेयक को पेश करने के समय अपनी बात कहने का मौका नहीं दिए जाने का विरोध किया। अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें नियम के तहत नोटिस नहीं मिला है इसलिए बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके विरोध में वाम दलों ने सदन से बहिर्गमन किया।