गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का सिलसिला रुका नहीं है. अस्पताल में 72 घंटों के भीतर 30 बच्चों की मौत की खबर है. इसी अस्पताल में 29-30 अगस्त की रात ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से कई बच्चों की मौत हो चुकी है. इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अस्पताल प्रशासन सुधरने का नाम नहीं ले रहा.
यूपी सरकार को देनी पड़ी थी सफाई
बीआरडी में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत से पूरा देश सन्न रह गया था. यूपी सरकार की इस मामले में काफी किरकिरी हुई थी. बाद में सरकार को इस पूरे मामले में सफाई देनी पड़ी थी. सरकार ने शुरुआती जांच में मासूमों की मौत का कसूरवार ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश को माना था. बाद में डॉ. कफील को भी इसमें आरोपी बनाया गया.
अगस्त में तो बच्चे मरते हैं!
इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को बच्चों की मौत पर सफाई देनी पड़ी थी. उसमें भी उनके बयान की काफी आलोचना हुई थी. मंत्री ने कहा था कि अगस्त में तो बच्चे मरते हैं. इसमें नई बात क्या है. छह दिन में 64 मौतों से ध्यान हटाने के लिए उन्हें बताना पड़ा कि 2014 में अगस्त के महीने में 567 बच्चों की मौत हुई. 2015 में इसी अगस्त ने 668 बच्चों की जान ले ली और 2016 में अगस्त में 587 बच्चों ने दम तोड़ दिया. यानी हर रोज 19 से बीस बच्चे मर रहे हैं.
14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रकोप
इंसेफलाइटिस का प्रकोप पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रभाव है. पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप सर्वाधिक है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर और देवरिया समेत 12 जिले इससे प्रभावित हैं.