अगर आपको याद होगा तो 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद दिल्ली के सत्ता गलियारों में नए-नए पहुंचे नरेंद्र मोदी ने अपनी अलग कार्यशैली से सबका ध्यान खींचा था. पीएम बनने के बाद मोदी ने सीधे हर विभाग के सचिव को तलब किया और भरोसे में लेकर काम में जुट जाने का मंत्र दे दिया. अब यूपी में योगी राज है और सीएम आदित्यनाथ इसी राह पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं.
सचिवालय में दिखी भागमभाग
सोमवार को लखनऊ सचिवालय में भागमभाग देखने लायक था. तमाम विभागों के आला अधिकारियों को सीएम योगी ने तलब किया था और उन्हें अपने-अपने विभाग के कामकाज का ब्लू प्रिंट पेश करना था. सीएम योगी ने अधिकारियों के साथ 8 घंटे तक मैराथन मीटिंग की और इस दौरान तमाम अधिकारी अपने-अपने विभागों की ओर आते-जाते दिखे. सीएम मे तमाम फैसलों और परियोजनाओं से जुड़ी फाइलें मंगाईं और एक-एक प्वाइंट पर गौर किया. अधिकारियों के टारगेट सेट किए गए और व्यक्तिगत तौर पर जवाबदेही तय की गई. लोग इसे गवर्नेंस का मोदी स्टाइल बता रहे हैं.
8 घंटे की मीटिंग में क्या हुआ?
सोमवार को सीएम योगी की मीटिंग के लिए सरकारी बाबुओं को खूब मशक्कत करनी पड़ी. राजधानी लखनऊ में सोमवार को देर रात तक सीएम आदित्यनाथ योगी और उनके कैबिनेट मंत्रियों के साथ अधिकारियों की बैठक चलती रही, जहां सीएम योगी ने सभी विभागों के सचिवों से हर चीज की खबर लेने के साथ आगे के रोड मैप पर चर्चा की. वहीं योगी सरकार ने 5 साल में 10 लाख नए रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा. सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग के साथ बैठक में राज्य की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया. इसके साथ ही निजी स्कूलों की फीस घटाने को लेकर भी निर्देश दिए गए. बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव अजय कुमार के मुताबिक, इन सारे निर्देशों को अगले 100 दिनों में अमल में लाना है.
100 दिन का क्या है रोडमैप?
सीएम योगी ने सभी विभागों से 100 दिनों का रोडमैप बनाने और उस पर तुरंत अमल शुरू करने को कहा है. इन 100 दिनों के बाद सभी अधिकारियों से काम का रिपोर्ट भी तलब किया जाएगा और कोताही पाए जाने पर अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दे दी गई है. वहीं इन 100 दिनों के सरकार का अगला लक्ष्य 6 महीने और फिर 1 साल के लिए रोडमैप बनाने और उसपर अमल का होगा. यहां जिम्मेदारी तय करते हुए तेजी से काम पूरा करने का योगी का मकसद साफ झलकता है.
तबादले की जगह काम
यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत के साथ सत्ता में आने के बाद योगी सरकार के 16 दिन पूरे हो गए हैं. एक्शन मोड में योगी ताबड़तोड़ फैसले तो कर रहे हैं लेकिन इन 16 दिनों में आम प्रचलन के अनुसार अधिकारियों के तबादलों को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं दिखी. इसके उलट पिछली सरकार में तैनात अधिकारियों के साथ ही योगी अपने काम को धार देने में लगे हुए हैं. यहां अटकले लगने लगी हैं कि आखिर यूपी की ब्यूरोक्रेसी को लेकर योगी का प्लान है क्या? सीएम योगी के 15 दिनों के काम के तरीके पर गौर करने पर मुख्य रूप से 5 बातें सामने आती हैं जिन्हें योगी मास्टरस्ट्रोक की तरह इस्तेमाल कर ब्यूरोक्रेसी को काम पर लगाना चाहते हैं. जाहिर है सीएम योगी के इस नए गवर्नेंस सिस्टम से अधिकारियों के सामने दोधारी तलवार वाली स्थिति है.
1. सीधे जनता से जुड़कर सिस्टम का डर कायम करना
प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई योगी सरकार ने काम करने के नए अंदाज को अपनाया है. खुद सीएम योगी सभी विभागों के अफसरों के साथ सीधा संपर्क बना रहे हैं. दरअसल ये सरकार चलाने का मोदी स्टाइल है. परीक्षाओं में नकल की लगातार आती शिकायतों के बीच सीएम योगी ने 111 केंद्रों के परीक्षा मैनेजरों पर जहां सीधी कार्रवाई की वहीं लखनऊ में शिकायतों पर कार्रवाई के लिए कंट्रोल रूम बना दिया. एक व्हाट्सऐप नंबर जारी कर लोगों से नकल की सीधी शिकायत करने को कहा गया और ऐलान किया गया कि 3 घंटे के भीतर कार्रवाई होगी. सरकार चलाने के इस तरीके से लोग खुद सरकार से जुड़ रहे हैं और गड़बड़ी करने वाले लोगों में इसी का खौफ है.
2. योजनाओं में कमियों को दूर करने पर फोकस
पुराने अधिकारियों के तबादले के बजाय सीएम योगी ने उन्हीं के हाथ में विभागों की बागडोर सौंप कर काम का नया तरीका अपनाया है. पिछले दिनों सीएम योगी ने गोमती रिवरफ्रंट परियोजना के रिव्यू के लिए वहीं जाकर मीटिंग की और अधिकारियों से जवाब तलब किया. परियोजना में हुआ गड़बड़ियों की जांच शुरू कराई गई और तुरंत काम करने का आदेश जारी किया.
3. अनुशासन के लिए नए नियम
सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सीएम योगी खुद दौरे कर रहे हैं तो अधिकारियों को भी जनता के बीच जाकर काम करने का फरमान जारी किया गया है. सत्ता संभालने के अगले दिन सीएम योगी हजरतगंज थाने पहुंचे और वहां अधिकारियों की तैनाती और साफ-सफाई का जायजा लिया. इसके बाद योगी ने अस्पताल का भी दौरा किया. सीएम ने दफ्तरों में गुटखा-तंबाकू खाने पर साफ रोक लगा दी साथ ही फरमान जारी किया कि सरकारी दफ्तरों में शिकायत या काम लेकर आने वाले लोगों की सुनवाई हो और अधिकारी-कर्मचारी ठीक से व्यवहार करने के अलावा लोगों की शिकायतों पर जल्द कार्रवाई करें.
4. जनता के बीच अफसरों को भेजने की तरकीब
सीएम योगी जहां लगातार विभिन्न दफ्तरों और परियोजनाओं का दौरा कर रहे हैं वहीं अधिकारियों को भी जनता के बीच जाकर काम करने को कहा है. सीएम योगी ने अधिकारियों को रोज एक घंटा पैदल चलकर जनता के बीच मौजूदगी का अहसास करना का फरमान सुनाया तो हेल्पलाइनों के जरिए शिकायतें सीधे खुद तक पहुंचाने का भी इंतजाम किया. इससे अधिकारियों पर काम करने का दबाव बढ़ा है.
5. पारदर्शिता के जरिए भ्रष्टाचार पर लगाम
सत्ता संभालते ही सीएम योगी ने ऐलान कर दिया कि अफसर 15 दिन में अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करें. इसके अलावा अधिकारियों के साथ लगातार मीटिंग कर योगी ने संदेश दिया कि हर विभाग पर उनकी नजर है. अपने तमाम मंत्रियों को भी योगी ने संदेश दिया कि साफ-सुथरी छवि और ईमानदार बैकग्राउंड वाले अधिकारियों को ही अपने साथ मंत्रालय में रखें.